करवा चौथ
कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं. इस साल ये व्रत twenty four twenty four 2021 दिन रविवार को रखा जाएगा पूजा की तैयारी के बाद इंतजार रहता है चंद्रोदय का. करवा चौथ का चांद ऐसे में सुहागिनों को खूब इंतजार कराता है.
चांद दिखने का समय हर जगह के लिए अलग-अलग होता है. कहीं कुछ समय पहले चांद दिखाई देने लगता है, तो कहीं पर थोड़ा इंतजार भी कराता है.
Karwa Chauth 2021 Mehendi Latest Design: सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ के व्रत का खास महत्व होता है। महिलाएं इस दिन का इंतेजार पूरे साल करती हैं। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और रात में चंद्रोदय के बाद पूजा कर अपना व्रत खोलती है. इस व्रत में सबसे जरूरी होती है मेहंदी (Karva Chauth straightforward Mehendi). करवा चौथ की मेहंदी के लिए महिलाओं में बहुत उत्साह होता है. इस करवा चौथ (Karwa Chauth Ke Aasan Designs) अगर आप मेहंदी की लेटेस्ट डिजाइंस ढूंढ रही हैं तो इन तस्वीरों से कुछ आइडिया ले सकती हैं. आज हम करवा चौथ करने वाली महिलाओं के लिए मेंहदी की लेटेस्ट और आसान डिजाइन बताने जा रहे हैं. आइए देखते हैं करवा चौथ पर 2021 के लेटेस्ट डिजाइन्स- (Karwa Chauth Mehendi Latest Designs)
यहां हम आपके लिए लाएं है करवा चौथ व्रत की कथा:
Karva Chauth Vrat katha in hindi: एक ब्राह्मण के सात पुत्र थे और वीरावती नाम की इकलौती पुत्री थी। सात भाइयों की अकेली बहन होने के कारण वीरावती सभी भाइयों की लाडली थी और उसे सभी भाई जान से बढ़कर प्रेम करते थे. कुछ समय बाद वीरावती का विवाह किसी ब्राह्मण युवक से हो गया। विवाह के बाद वीरावती मायके आई और फिर उसने अपनी भाभियों के साथ करवाचौथ का व्रत रखा लेकिन शाम होते-होते वह भूख से व्याकुल हो उठी। सभी भाई खाना खाने बैठे और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्य देकर ही खा सकती है। लेकिन चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख-प्यास से व्याकुल हो उठी है।
वीरावती की ये हालत उसके भाइयों से देखी नहीं गई और फिर एक भाई ने पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। दूर से देखने पर वह ऐसा लगा की चांद निकल आया है। फिर एक भाई ने आकर वीरावती को कहा कि चांद निकल आया है, तुम उसे अर्घ्य देने के बाद भोजन कर सकती हो। बहन खुशी के मारे सीढ़ियों पर चढ़कर चांद को देखा और उसे अर्घ्य देकर खाना खाने बैठ गई।उसने जैसे ही पहला टुकड़ा मुंह में डाला है तो उसे छींक आ गई। दूसरा टुकड़ा डाला तो उसमें बाल निकल आया। इसके बाद उसने जैसे ही तीसरा टुकड़ा मुंह में डालने की कोशिश की तो उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिल गया।
उसकी भाभी उसे सच्चाई से अवगत कराती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं। एक बार इंद्र देव की पत्नी इंद्राणी करवाचौथ के दिन धरती पर आईं और वीरावती उनके पास गई और अपने पति की रक्षा के लिए प्रार्थना की। देवी इंद्राणी ने वीरावती को पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से करवाचौथ का व्रत करने के लिए कहा। इस बार वीरावती पूरी श्रद्धा से करवाचौथ का व्रत रखा। उसकी श्रद्धा और भक्ति देख कर भगवान प्रसन्न हो गए और उन्होंनें वीरावती सदासुहागन का आशीर्वाद देते हुए उसके पति को जीवित कर दिया। इसके बाद से महिलाओं का करवाचौथ व्रत पर अटूट विश्वास होने लगा।
इस व्रत को रखने के five नियम
1. चंद्रोदय तक रखें व्रत : यह व्रत सूर्योदय से पहले से प्रारंभ हो जाता है। उसके पूर्व कुछ भी खा-पी सकते हैं। उसके बाद जब तक रात्रि में चंद्रोदय नहीं हो जाता तब तक जल भी ग्रहण नहीं करते हैं। यदि कोई स्वास्थय समस्या है तो जल पी सकते हैं। चन्द्र दर्शन के पश्चात ही इस व्रत का विधि विधान से पारण करना चाहिए। शास्त्र अनुसार केवल सुहागिनें या जिनका रिश्ता तय हो गया हो वही स्त्रियां ये व्रत रख सकती हैं। पत्नी के अस्वस्थ होने की स्थिति में पति ये व्रत रख सकते हैं।
2. शिव परिवार की पूजा : संध्या के समय चंद्रोदय से लगभग एक घंटा पूर्व शिव-परिवार (शिवजी, पार्वतीजी, गणेशजी और कार्तिकेयजी सहित नंदीजी) की पूजा की जाती है। इसके अवला चंद्रदेव की पूजा करना भी जरूरी है।
3. पूर्व मुखी होकर करें पूजन : पूजन के समय देव-प्रतिमा का मुख पश्चिम की ओर होना चाहिए तथा महिला को पूर्व की ओर मुख करके बैठना चाहिए। इस व्रत के दौरान महिलाओं को लाल या पीले वस्त्र ही पहनना चाहिए। इस दिन पूर्ण श्रृंगार और अच्छा भोजन करना चाहिए।
4.कथा सुनना जरूरी : व्रत वाले दिन कथा सुनना बेहद जरूरी माना गया है। ऐसी मान्यता है कि करवाचौथ की कथा सुनने से विवाहित महिलाओं का सुहाग बना रहता है, उनके घर में सुख, शान्ति,समृद्धि आती है और सन्तान सुख मिलता है। करवा चौथ व्रत की कथा सुनते समय साबूत अनाज और मीठा साथ में अवश्य रखें। इस दिन कहानी सुनने के बाद बहुओं को अपनी सास को बायना देना चाहिये।
5. छलनी में देखें चांद को : चंद्रमा का उदय होने के बाद सबसे पहले महिलाएं छलनी में से चंद्रमा को देखती हैं फिर अपने पति को, इसके बाद पति अपनी पत्नियों को लोटे में से जल पिलाकर उनका व्रत पूरा करवाते हैं। कुआंरी महिलाएं चंद्र की जगह तारों को देखती हैं। जब चंद्रदेव निकल आएं तो उन्हें देखने के बाद अर्घ्य दें।