About us

Join us FREE!

दीपक क्यों जलाते हैं

Blog by Deepika Singh connectclue-author-image

दिवाली क्यों मनाई जाती है? 

  दिवाली के दीप जले तो समझो बच्चों के दिलों में फूल खिले, फुलझड़ियां छूटी और पटाखे उड़े... क्यों न हो ऐसा? ये सब त्योहार का हिस्सा हैं, आनंद का स्रोत हैं।
 
दीप पर्व अथवा दिवाली क्यों मनाई जाती है? इसके पीछे अलग-अलग कहानियां हैं, अलग-अलग परंपराएं हैं। कहते हैं कि जब भगवान श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के पश्चात अयोध्या नगरी लौटे थे,तब उनकी प्रजा ने मकानों की सफाई की और दीप जलाकर उनका स्वागत किया। 
 
दूसरी कथा के अनुसार जब श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध करके प्रजा को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई तो द्वारका की प्रजा ने दीपक जलाकर उनको धन्यवाद दिया। 

एक और परंपरा के अनुसार सतयुग में जब समुद्र मंथन हुआ तो धन्वंतरि और देवी लक्ष्मी के प्रकट होने पर दीप जलाकर आनंद व्यक्त किया गया। 



जो भी कथा हो, ये बात निश्चित है कि दीपक आनंद प्रकट करने के लिए जलाए जाते हैं... खुशियां बांटने का काम करते हैं।
 
भारतीय संस्कृति में दीपक को सत्य और ज्ञान का द्योतक माना जाता है, क्योंकि वो स्वयं जलता है, पर दूसरों को प्रकाश देता है। दीपक की इसी विशेषता के कारण धार्मिक पुस्तकों में उसे ब्रह्मा स्वरूप माना जाता है।
 
ये भी कहा जाता है कि 'दीपदान' से शारीरिक एवं आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। जहां सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंच सकता है, वहां दीपक का प्रकाश पहुंच जाता है। दीपक को सूर्य का भाग 'सूर्यांश संभवो दीप:' कहा जाता है।


 घर की सुख-शांति के लिये तुलसी के समाने जलाएं घी का दीया 

कार्तिक मास में तुलसी जी के सामने रोज शाम को घी का दीपक जलाने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। यही नहीं ऐसा करने से घर की सुख-समृद्धि बनी रहती है। यदि घर पर कोई लंबे समय से बीमार है तो उसका भी स्‍वास्‍थ्‍य ठीक हो जाता है। दुख दूर होता है और अर्थ, काम और मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।

धार्मिक पुस्तक 'स्कंद पुराण' के अनुसार दीपक का जन्म यज्ञ से हुआ है। यज्ञ देवताओं और मनुष्य के मध्य संवाद साधने का माध्यम है। यज्ञ की अग्नि से जन्मे दीपक पूजा का महत्वपूर्ण भाग है। 


बच्चो, एक कहानी सुनो-
 जब सूर्य का जन्म हुआ, तब उसने संपूर्ण दिवस संसार को अपने प्रकाश से आलोकित किया। जैसे-जैसे उसके अस्त होने का समय समीप आने लगा, उसे ये चिंता होने लगी कि अब क्या होगा? उसके अस्त होने के पश्चात दुनिया में अंधकार फैल जाएगा। कौन मानव के काम आएगा? कौन उन्हें रास्ता दिखाएगा?
 
सहसा एक आवाज आई- आप चिंतित न हों। मैं हूं ना! मैं एक छोटा-सा दीपक हूं, पर प्रात:काल तक अर्थात आपके उदय होने तक मैं अपने सामर्थ्यभर संसार को प्रकाश देने का प्रयत्न करूंगा। 
 

दीपक का आरंभ कब हुआ? कहां हुआ? 
ये निश्चित रूप से कहना कठिन है। अनुमान है कि प्राचीन समय में जब मानव ने अग्नि की खोज की होगी, तभी दीपक अस्तित्व में आए होंगे। 
 
आरंभ में घास-फूस को बांधकर जलाया गया और प्रकाश प्राप्त किया गया। आग जल जाती थी तो जली हुई रखी जाती। मशाल के रूप में ये दीपक थे, 
जो प्रकाश देते थे। 
 
फिर मानव ने पत्थर और पत्‍थर की चट्टानों को खोदकर दीये बनाना आरंभ किया। गुफाओं में मूर्तियां एवं चित्र बनाने की प्रक्रिया में पत्थर के ये दीपक सहायक‍ सिद्ध हुए। भारत में अजंता, एलोरा तथा अन्य स्थानों पर गुफाओं में कला के अद्वितीय प्रदर्शन में पत्थर के दीये काम आए।
 
धीरे-धीरे मानव ने मिट्टी के दीपक बनाना सीख लिया। धीरे-धीरे जैतून, सरसों और शीशम का तेल उपयोग में लाया जाने लगा। सत्य तो ये है कि आज भी सर्वाधिक मिट्टी के दीपक ही प्रचलित हैं।
 
दीपक की यात्रा की अगली मंजिल थी धातु की खोज। सोना-चांदी, तांबा-पीतल आदि धातुओं को पिघलाकर विभिन्न आकारों के दीपक बनाए जाने लगे। छोटे से छोटे और बड़े से बड़े (6-7 फुट ऊंचे) दीपक तैयार किए जाने लगे। उन्हें संभालने के लिए पीतल की मूठ लगाई जाती थी।
 सुंदर नक्काशी वाले दीपक मंदिरों की छत में लगाए जाते थे। 
 
प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में विभिन्न प्रकार के दीयों का उल्लेख मिलता है। महाभारत में रात्रि के समय जब घटोत्कच से युद्ध हुआ तो दुर्योधन ने सैनिकों को हाथों में जलते हुए दीपक रखने का निर्देश दिया था।
 
मथुरा, पाटलीपुत्र (पटना), टेक्सिला (तक्षशिला, पाकिस्तान में), अवंतिका (उज्जैन) आदि में खुदाई के दौरान मिट्टी के दीपक प्राप्त हुए थे। 
 
हड़प्पा संस्कृति के दीपक बलोचिस्तान में मालनामी स्थान से प्राप्त हुए। वो मिट्टी से बने चौकोर दीपक थे। उनके चारों कोनों में बत्तियां रखने का स्थान था। मोहन-जोदड़ो में पाए गए दीपक गोलाकार थे। वहां मार्ग के दोनों ओर लगाए जाने वाले दीपक भी प्राप्त हुए थे। 
 
इनके अतिरिक्त मंदिर में आरती के समय उपयोग में आने वाले पंचमुखी और सप्तमुखी दीपक भी प्रचलन में थे। पूजा के समय दीपक 'अर्चना दीप' कहलाते थे। 
 
शयनकक्ष में 'निशि दीपक' प्रयुक्त होते थे। बंदरगाहों में मार्ग दिखाने वाले 'आकाश दीप' नाम से जाने जाते थे। पेड़ों पर लटकाए जाने वाले दीपकों का 'वृक्ष दीप' नाम था। इनमें अनेक टहनियां होती थीं। प्रत्येक टहनी पर दीपक और ऊपर भाग में किसी देवी-देवता की मूर्ति (केवल सिर) होता था। 
 
 भारत में पुणे (महाराष्ट्र) का केलकर संग्रहालय और ग्वालियर (मध्यप्रदेश) का प्रिंस ऑफ वेल्स म्यूजियम अपने दीपक संग्रह के लिए प्रसिद्ध है। महात्मा बुद्ध की माता श्री मायादेवी के शयनकक्ष में रखा रहने वाला लकड़ी के खंभे पर गांधार शैली में बना हुआ दीपक भारत का सबसे बड़ा दीपक है।
 
मिस्र देश के सम्राट क्लोरस के महल में एक इतना बड़ा दीपक था जिसका प्रकाश 
 
उस काल में ऐसे प्रतिभाशाली रासायनिक वैज्ञानिक मौजूद थे जिन्होंने बिना ऑक्सीजन, बिना तेल के जलने वाले दीपक बनाए, जो वर्षों तक जलते रहे। आधुनिक वैज्ञानिक ये मानते हैं कि सोडियम एंटिमनी, सोना, पारा, प्लेटिनम और गंधक मिलाकर वो रसायन तैयार किया जाता था।


दीपक जलाने से कई तरह के महत्व जुड़े हुए हैं, जो कि इस प्रकार हैं-
बिना दीपक जलाए पूजा करने से पूजा को असफल माना जाता है। इसलिए जब भी कोई पूजा की जाती है तो सबसे पहले दीपक को जलाया जाता है और दीपक जलाने के बाद ही पूजा को शुरू किया जाता है।

पूजा के बाद भी जलता रहना चाहिए दीपक

पूजा के दौरान आप जब भी दीपक जलाएं तो इस बात का ध्यान रखें की पूजा पूरी होने के बाद भी दीपक कई घंटों तक जलते रहना चाहिए। क्योंकि पूजा के तुरंत बाद दीपक का शांत हो जाना शुभ नहीं माना जाता है और दीपक जितनी देर तक जलता रहता है पूजा का लाभ उतना ही अधिक मिलता है।


अंधकार हटाए

दीपक की लौ काफी पवित्र होती है और इसकी लौ की रोशनी नकारात्मक ऊर्जा को घर से दूर रखती है और जीवन से हर प्रकार के अंधकार को हटाकर दोती है।

घी का दीपक होता है काफी शुभ

अग्नि पुराण में दीपक का महत्व बताते हुए लिखा गया है कि हमेशा घी का दीपक ही जलाना चाहिए। अग्नि पुराण में घी के अलावा किसी और चीज का दीपक पूजा के दौरान जलाना वर्जित माना गया है। दरअसल घी को काफी शुभ माना जाता है और पूजा के दौरान केवल शुभ चीजों का ही प्रयोग किया जाता है।

दीपक जलाने से जुड़े फायदे ?
दीपक जलाने से ना केवल पूजा सफल होती है बल्कि जीवन की कई परेशानियों से भी निजात मिल जाती है।


 दीपक जलाने के फायदे अनगिनत हैं और इसको जलाने से जुड़े कुछ फायदे इस प्रकार हैं-

1. किसी भी प्रकार का रोग लगने पर आप हर रोज एक तेल का दीपक सूर्य देव की मूर्ति के सामने जला दें। ऐसा करने से रोग से मुक्ति मिल जाएगी और आप एकदम सेहतमंद हो जाएगें।

2. घर के मुख्य दरवाजे के पास हर रोज तेल का दीपक जलाना शुभ माना जाता है और ऐसा करने से घर में सदा सुख-शांति बनी रहती है। हालांकि आप जब भी घर के मुख्य दरवाजे के पास दीपक जलाएं तो इस बात का ध्यान रखें की दीपक का मुंह हमेशा घर के अंदर की और ही हो।

3. जिन लोगों को अक्सर बुरे सपने आते हैं, वो लोग रात को सोने से पहले हनुमान जी के सामने एक पंचमुखी दीपक जला दें और हनुमान चालीसा का पाठ करें। दीपक से जुड़े इस उपाय को करने से बुरे सपने आना बंद हो जाएंगे।
दीपिका सिंह ने यह जानकारी सत्य के आधार पर लिखी है अगर इसमें त्रुटि मिलती है तो वह उसके लिए क्षमा प्रार्थी हैं।

                धन्यवाद! 



connectclue-linkedin-share

More articles:


Recent lost & found:


Login for enhanced experience

connectclue-tick Create and manage your profile

connectclue-tick Refer an author and get bonus Learn more

connectclue-tick Publish any lost and found belongings

connectclue-tick Connect with the authors & add your review comments

connectclue-tick Join us for Free to advertise for your business or Contact-us for more details

connectclue-tick Join us for Free to publish your own blogs, articles or tutorials and get your Benefits

connectclue-login

Back to top