दिवाली की सफाई-
दिवाली का त्यौहार हिंदुओं का मुख्य त्यौहार होता है.इस दिन मां लक्ष्मी जी की पूजा आराधना की जाती है.कहते हैं,माँ लक्ष्मी केवल उन घरों में ही प्रवेश करती है जहां सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है.इसी कारण दिवाली के पहले हर घर में साफ सफाई की जाती है.दीवारों को नए रंगों से रंगा जाता है.घर का सारा कबाड़ बाहर निकाल दिया जाता है और नई वस्तुओं की खरीदी की जाती है.
दशहरे के बाद से ही हर घर में सफाई का दौर शुरू हो जाता है.घर के सभी सदस्य इस काम में जुट जाते हैं.घर की सारी पुरानी अनावश्यक चीजों को बाहर निकालकर कबाड़ में दे दिया जाता है और घर के हर कोने की सफाई की जाती है. घर की दीवारों को नए रंगों से रंगा जाता है.नए सामानों की खरीदी कर पूरे घर को सजाया जाता है.घर के द्वार पर पर रंग बिरंगे तोरण लगाए जाते हैं,आंगन में रंगोली सजाई जाती है.दीयों,मालाओं व झालरों से सजावट की जाती है.हर एक की चाहत होती है कि मां लक्ष्मी उनके घर में प्रवेश करे,इसलिए घर को मंदिर की तरह स्वच्छ और पवित्र बनाया जाता है.
दिवाली का त्योहार अक्टूबर-नवम्बर महीने में आता है.मौसम परिवर्तन के कारण कई बीमारियां उत्पन्न हो सकती है.यही वजह है कि दिवाली पर घर के भीतर और बाहर स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है.
दीपावली से पहले घर की साफ सफाई करते वक्त हम कई बार कुछ पुरानी चीजों को दोबारा संभाल कर रख लेते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन पुरानी चीजों से आपका मोह, घर में नकारात्मक ऊर्जा संचार करता है और सकारात्मकता कम करता है।
लक्ष्मी की कृपा वहीं होती है जहां स्वच्छता रहती है। आपको इस पर्व से पहले अपने घर से कुछ अनावश्यक और बेकार वस्तुओं को बाहर निकाल देना चाहिए ताकि आप भी संपन्नाता के इस पर्व पर सौभाग्य पा सकें।
दिवाली पर घर की सफाई का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि जिस घर में स्वच्छता रहती है लक्ष्मी का आगमन वहीं होता है। यह अवसर है जबकि आप अपने घर के कचरे और कबाड़ को बाहर करें। प्रतीकात्मक ही है कि भारतीय संस्कृति में झाड़ू को लक्ष्मी का रूप माना गया है।
यानी जहां स्वच्छता है वहीं लक्ष्मी है। जिस तरह लक्ष्मी का आगमन जीवन की दरिद्रता को दूर करता है उसी तरह झाड़ू से हम अपने घर का कचरा बुहार सकते हैं। चूंकि यह पर्व मां लक्ष्मी की आराधना का पर्व है इसलिए इसमें स्वच्छता का विशेष महत्व है।
दिवाली की सफाई करते हुए आपको अपने घर में पड़ी रद्दी, टूटे खिलौने, पुराने जूते-चप्पल, पुराने कपड़े बाहर कर देना चाहिए। आश्विन पूर्णिमा से दीपावली तक का समय बहुत ही ऊर्जावान होता है और इस दौरान धन की देवी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए किए जाने वाले उपाय विशेष रूप से फलदायी होते हैं। इस समय अगर आप स्वच्छता के लिए प्रयास करेंगे तो धन की देवी लक्ष्मी आपसे प्रसन्न होगी।
ये पुरानी और अनुपयोगी चीजें न केवल सुंदरता खराब करती है बल्कि ये वास्तुदोष भी पैदा करती हैं। घर में अगर पुरानी और बेकार चीजें पड़ी रहती हैं तो वे सौभाग्य को घर के भीतर आने से रोक देती हैं। परिवार में तब आर्थिक समस्याएं आती हैं और भाग्य रूठ जाता है।
इस दिवाली पर लक्ष्मी पूजन से पहले अच्छे से सफाई करें। दीपावली पर साफ-सफाई का का वैज्ञानिक महत्व भी है। वर्षा ऋतु के समय पूरा वातावरण कीट-पतंगों से भर जाता है। दीपावली के पहले साफ-सफाई करने से आस-पास का क्षेत्र साफ-सुथरा हो जाता है। घरों की पुताई करने से कई प्रकार के कीड़े-मकोड़े और मच्छर नष्ट हो जाते हैं। इस तरह दिवाली पर सफाई हमारे स्वास्थ्य के लिहाज से भी बहुत जरूरी है।
-अगर आपके घर में टूटा हुआ दर्पण है तो वास्तु के अनुसार वह आपके परिवार के लिए नकारात्मक ऊर्जा पैदा करता है। तब परिवार के सदस्यों को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है। इस दिवाली अगर घर में टूटा कांच या कांच की वस्तुएं हों तो उनका निपटारा सबसे पहले करें।
-बंद और खराब घड़ी घर में कदापि न रखें क्योंकि वे दुर्भाग्य लाती हैं। घर में बंद घड़ी होने पर समय पर कोई कार्य पूरा नहीं होता है और कार्य संपन्नाता में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। जिन घड़ियों को सुधारा जा सकता है उन्हें सुधरवा लें अन्यथा उन्हें कचरे के हवाले करें।
-घर का मुख्य द्वार टूटा-फूटा नहीं होना चाहिए। उसे ठीक करवा लें। अगर मुख्य द्वार का प्लास्टर उखड़ गया हो तो उसे भी दिवाली से पहले ठीक करवा लेना चाहिए। घर के मुख्य द्वार पर अगर आप पुष्पमाला लगाते हैं तो उसे रोज बदलना चाहिए। पुरानी मालाओं को द्वार से उतार दें।
-दिवाली से पहले आपको घर के पूजास्थल या मंदिर की सफाई भी अच्छे से करना चाहिए। पूजास्थल में काफी समय से रखी पूजन सामग्री का निपटान करके आपको दिवाली पर नई सामग्री खरीदना चाहिए।
-दिवाली की सफाई करते हुए इस बात का ध्यान भी रखना चाहिए कि पिछली दिवाली के बचे हुए दीयों से इस दिवाली रोशनी न करें। इस दिवाली के लिए बाजार से नए दीये खरीदें।
-घर के मुख्य द्वार के एकदम निकट चप्पल-जूतों का स्टैंड या पादुकाएं उतारने की जगह बिल्कुल न हो। पादुकाएं उतारने की व्यवस्था घर के बाहर ही होना चाहिए, घर के भीतर नहीं। ताकि बैक्टीरिया भीतर न आने पाएं।
-घर का मुख्य द्वार अगर लोहे का है तो उन पर रंग-रोगन करवाना चाहिए और स्वस्तिक बनाना चाहिए ताकि समृद्धि सीधे घर में प्रवेश करे। स्वस्तिक आमंत्रण चिह्न है।
-दिवाली पर घर में मौजूद गमलों में भी कटाई-छंटाई करना चाहिए और उनका रंग-रोगन करना चाहिए।
-दिवाली से पहले इस बात का प्रयास भी करना चाहिए कि अगर आप पर कोई कर्ज या उधार है और आप उसे सहजता से लौटा सकते हैं तो आपको लौटना चाहिए। शास्त्र अनुसार जिस घर पर कर्ज का बोझ रहता है लक्ष्मीजी उस घर में जाना पसंद नहीं करती हैं।
-घर की छत पर जमा कचरा-कूडा इस समय साफ कर देना चाहिए और छत पर जमा अनावश्यक वस्तुओं को कचरे में दे देना चाहिए। इससे नकारात्मकता दूर होती है।
-दिवाली से पहले दरवाजे या खिड़कियों के शीशे या कांच अगर धुंधले हो गए हों तो उन्हें बदलवा देना चाहिए क्योंकि धुंधले कांच से घर में प्रकाश और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं हो पाता है।
-घर में बिस्तरपेटी के अंदर अगर पुराने कपड़े और पुराना बिस्तर हो तो उसे भी दिवाली के पहले साफ कर लेना चाहिए। इससे नकारात्मकता बीमारी पैदा होती है। कम से कम उन्हें धूप तो दिखा ही लें।
-कोशिश कीजिए कि इस दिवाली से आप अपने घर में सभी चीजों को एक नियत स्थान पर रखेंगे। जिस व्यक्ति के घर में सामान बिखरा रहता है उसे कई प्रकार के मानसिक, आर्थिक और पारिवारिक तनाव का सामना करना पड़ता है। इससे घर में नकारात्मक प्रभाव बढ़ता है और आपसी मनमुटाव भी होता है।