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Krishna as Bake bihari

Blog by Shailendra nath tiwari connectclue-author-image

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There are many wonderful pastimes of Lord Shri Krishna. He shows a loving relationship with the devotees. The devotee makes God do whatever work according to his wish. This thing seems very strange. But it is true that Lord Shri Krishna is in the control of his devotee. There was a devotee named as Haridas. Listening to his loving song, Krishna would appear. Once his devotees were sad thinking about the people of Kaliyuga. He thought that the people of Kaliyuga would not be able to worship and worship God well. All people would be corrupted. The mind of all people And the intellect will become weak. The mind will become very fickle. In Kali-yuga, there will be a lot of sin by the living beings. He should please God. So that Krishna would take care of people. The condition has been laid Lord, you please appear in the form of Shri Banke Bihari for the salvation of the creatures of Kali Yuga. God cannot avoid anything from His devotees.





भगवान श्री कृष्ण की अद्भुत कई सारी लीलाएं है l उनका भक्तों के साथ  प्रेम भरा संबंध दिखता है l भक्त भगवान को अपने इच्छा अनुसार कुछ भी काम करवा लेता है l यह बात बहुत ही अजीब लग रही है l पर यह सच है कि भगवान श्री कृष्ण अपने भक्त के वश में है l 
श्री कृष्ण और राधा जी की भक्ति में लीन एक भक्त थे उनका नाम था - हरिदास ठाकुर l उन्होंने भगवान श्री कृष्ण की वृंदावन में बहुत ही प्रेम भक्ति  की थी l
भगवान उनकी भक्ति भरे गाने को सुनकर प्रकट हो जाते l    एक बार कलयुग के लोगों के बारे में सोच कर उनके भक्त दुखी हो, उन्होंने सोचा कि कलयुग के लोग भगवान का भजन और पूजा अच्छे से नहीं कर पाएंगे l सभी लोग दूषित हो जाएंगे l सभी लोगों का मन और बुद्धि कमजोर हो जाएगा l मन बहुत ही चंचल हो जाएगा l कलयुग में  
जीवो द्वारा पाप बहुत ज्यादा होगा l आपने धाम ले जाने के लिए भगवान को कृपा करनी चाहिए l

इसके लिए उन्होंने भगवान के सामने शर्त रखी -  हे भगवान, आप कृपया करके कलयुग के जीवो के उद्धार के लिए श्री बांके बिहारी के रूप में प्रकट  हो l भगवान अपने भक्तों की किसी भी बात को टाल नहीं सकते l

                वृंदावन के अंदर भगवान श्री कृष्ण श्री बांके बिहारी के रूप में पूजे जाते हैं l भगवान श्रीकृष्ण वहां पर गोपाल के रूप में पूजे जाते हैं l और मान्यता है कि भगवान श्री बांके बिहारी एक जागृत भगवान है |  भगवान श्री कृष्ण वृंदावन के अंदर गोपाल रूप में रहते हैंंl  वहां पर उनकी प्रियसी का नाम श्रीमती राधारानी है और श्रीमती राधारानी वहां पर गोपी रूप में पूजी जाती हैं | 
                     वृंदावन के अंदर कई सारे रहस्य स्थित हैं l भगवान श्री कृष्ण वृंदावन के अंदर अपनी दिव्य लीलाएं दिव्य शक्तियों के द्वारा करते हैंं | वृंदावन के अंदर एक रहस्यमई वन हैै , लोगों की मान्यता है कि वहां पर आज भी भगवान श्रीकृष्ण आते हैंं | लोग इसी मान्यता के आधार पर वहां पर कई सारे खाने योग्य पदार्थ वहां पर रखते हैं l और सुबह में वह सारी वस्तुएं खाई हुई लगती हैं l कई सारे भक्त लोग वहां जाकर भगवान को पहनने के लिए वस्त्र देते हैं | वह सभी वस्त्र भगवान श्री कृष्ण ग्रहण स्वयं ग्रहण करते हैं,  लोगों की  यह मान्यता है| यह अद्भुत वन  निधिवन के नाम से जाना जाता है | असल में यह कई सारे तुलसी वनों से बना हुआ है | 






             वृंदावन के अंदर यमुना नदी भी बहती है l भगवान श्री कृष्ण को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए श्रीमती यमुना देवी ने कई वर्षों तक जल के अंदर स्थित होकर तपस्या की थी | भगवान श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त होने पर उन्हें भी वृंदावन के अंदर वास करने का अवसर प्राप्त हुआ | मथुरा के अंदर गोवर्धन पर्वत भी स्थित है l गोवर्धन पर्वत को अद्भुत पर्वत कहा जाता है l गोवर्धन पर्वत का वर्णन कई सारे पुराणों और ग्रंथों में मिलता है l यह पर्वत भगवान श्री कृष्ण के द्वारा धारण किए जाने की वजह से भी बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है | देवराज इंद्र के घमंड को दूर करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने ही अपने हाथों पर गोवर्धन पर्वत को धारण किया था l इसीलिए भगवान श्री कृष्ण को गोवर्धनधारी भी कहा जाता है l कई सारे भक्त गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करके अपने को कृतार्थ मानते हैं l भगवान श्रीकृष्ण हरिदास ठाकुर की प्रार्थना को स्वीकार कर लिए |   उन्होंने श्री राधा जी के साथ मिलकर एक स्वरूप को प्राप्त किया l उसी का नाम श्री बांके बिहारी पड़ा | 
                   बांके बिहारी के अंदर  श्रीकृष्ण राधा दोनों ही युगल स्वरूप में रहते हैं l  मथुरा के अंदर यमुना नदी के तट पर भगवान श्री कृष्ण का द्वारिका नाथ मंदिर  है l  भगवान श्री कृष्ण यहां पर द्वारिकाधीश के रूप में रहते हैं l मथुरा के लोग भगवान श्री कृष्ण को अत्यंत प्रेम करते हैं l उनके प्रेम को स्वीकार करने के लिए भगवान श्री कृष्ण द्वारकाधीश के रूप में यहां पर विराजमान है l भगवान श्री कृष्ण का दूसरा मंदिर है श्री राधा वल्लभ लाल मंदिर l

Here are two types of Tulsi



                   यहां भगवान श्री कृष्ण राधा जी के पति के रूप में पूजा किया जाता है l श्री राधा जी बरसाने की थी l बरसाने में श्री राधा जी का बहुत विशाल मंदिर है l श्री राधा जी को वृंदावन का स्वामी माना जाता है l श्री कृष्ण समस्त ब्रह्मांड के अधिपति है l पर वृंदावन की स्वामी राधा जी है l श्री राधा जी श्री कृष्ण को अपने प्रेम के बंधन से बांध कर रखती है l इसीलिए भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें वृंदावन का स्वामी बना दिया है l बिना श्री राधा जी की मर्जी के वृंदावन में कोई भी जीव नहीं जा सकता l  श्री बांके बिहारी मंदिर में दर्शन के लिए भक्त हमेशा लालायित रहते हैं l श्री बांके बिहारी में सुबह-सुबह आरती नहीं होती है l ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण रास करने के लिए जाते हैं और सुबह उन्हें जगाने पर वह ज्यादा थके हुए है l इसीलिए उनकी आरती सुबह नहीं कर के 8:00 बजे के पास होता है l भगवान भी भक्तों के भाव का सम्मान रखते है l  भक्तों के द्वारा भेंट को स्वीकार करते हैं l






Lord Shri Krishna has infinite powers. The powers Of Lord Shri Krishna cannot be described by any one man. It is described that God has sixteen arts. One power of God is the power of creation power.
The strong thing of Lord Shri Krishna is Sudarshan Chakra. A very fierce fire emanates from inside the Sudarshan Chakra. But this fire appears only at the time of destroying the wicked. Sudarshan Chakra goes to the devotees of  Lord Shri Krishna to protect them. At that time no flame or fire emanates from this Sudarshan Chakra.


Kaustubh mani is the  mani Which is full of the various types of presious stones. The Lord Krishna knows the real spiritual knowledge of the importance of the Kaustubh mani, no one can predict or know it's importance. Kaustubh mani is the mani which is able to fulfill all the desires.

                           Radha kund


God are manifested by seeing some of the presious sign in him. Several types of purana and books explained that Shri Krishna himself is God. Bhagwan comes in the world of human being for the accomplishment of the devotees. Bhagwan Shri Krishna always used to fulfill the desires of the devotees and give pleasure to the devotees through lilavaichitryya. Bhagwan Shri Krishna shows various types of lilavaichitryya which touch the heart of the devotees and rishis.  For the fulfillment of the love of his dear relatives Shree Krishna used to do several lilas. There are sixteen signs at the marvelous lotus feet of Bhagwan Sri Krishna. The marvelous lotus feet of Bhagwan Sri Krishna contains symbols of flag, thunder, verse, Ankush, yava, swastika, uddha' line and octagonal, rainbow, triangle, kalas, half moon, sky fish, and goshpad. The last remaining sign is the shape of a berries. 


                       
                         Barsana dham




Ramanraati, Gokul

          Barsana

          Nand bhawan

         Gokul , ramanretii


उसमें कुछ अमूल्य चिन्ह देखकर भगवान प्रकट होते हैं। कई प्रकार के पुराणों और पुस्तकों में समझाया गया है कि श्री कृष्ण स्वयं भगवान हैं। भक्तों की सिद्धि के लिए भगवान मनुष्य लोक में आते हैं। भगवान श्री कृष्ण हमेशा भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते थे और लीलावैचार्य के माध्यम से भक्तों को सुख देते थे। भगवान श्री कृष्ण विभिन्न प्रकार के लीलावैचित्र्य दिखाते हैं जो भक्तों और ऋषियों के दिल को छूते हैं। श्रीकृष्ण अपने प्रिय सम्बन्धियों के प्रेम की पूर्ति के लिए अनेक लीलाएँ करते थे। भगवान श्रीकृष्ण के चरण कमलों में सोलह चिन्ह हैं। भगवान श्रीकृष्ण के अद्भुत चरण कमलों में ध्वज, गड़गड़ाहट, पद्य, अंकुश, यव, स्वस्तिक, उद्ध रेखा और अष्टकोणीय, इंद्रधनुष, त्रिकोण, कला, अर्धचंद्र, आकाश मछली और गोपद के प्रतीक हैं। अंतिम शेष चिन्ह जामुन के आकार का है।


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wow, that is really good information about Krishna.
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