About us

Join us FREE!

भ्रामरी प्राणायाम

Blog by Raunak connectclue-author-image

All > Yoga > भ्रामरी प्राणायाम

1 like

Please login to like this article.

connectclue-linkedin-share



भ्रामरी प्राणायाम का नाम भारत में पाई जाने वाली बढ़ई मधुमक्खी से प्रेरित है जिसे भ्रामरी भी कहा जाता है। इस प्राणायाम को करने के पश्चात व्यक्ति का मन तुरंत शांत हो जाता है। इस प्राणायाम के अभ्यास द्वारा, किसी भी व्यक्ति का मन, क्रोध, चिंता व निराशा से मुक्त हो जाता है। यह एक साधारण प्रक्रिया है जिसको घर य ऑफिस, कहीं पर भी किया जा सकता है। यह प्राणायाम चिंता-मुक्त होने का सबसे अच्छा विकल्प है।
इस प्राणायाम में साँस छोड़ते हुए ऐसा प्रतीत होता है की आप किसी बढ़ई मधुमक्खी की ध्वनि निकाल रहे हैं। जो इसके नाम का स्पष्टीकरण करता है।

भ्रामरी प्राणायाम का वैज्ञानिक तात्पर्य

यह प्राणायाम मस्तिष्क की तंत्रिकाओं को आराम देता है और मस्तिष्क के हिस्से को विशेष लाभ प्रदान करता है। मधु-मक्खी की ध्वनि की तरंगे मन को प्राकृतिक शांति प्रदान करती हैं।

भ्रामरी प्राणायाम करने की प्रक्रिया |How to do Bhramari pranayama

  • किसी भी शांत वातावरण, जहाँ पर हवा का प्रवाह अच्छा हो बैठ जाएँ। अपने चेहरे पर मुस्कान को बनाए रखें।
  • कुछ समय के लिए अपनी आँखों को बंद रखें। अपने शरीर में शांति व तरंगो को महसूस करें।
  • तर्जनी ऊँगली को अपने कानों पर रखें। आपके कान व गाल की त्वचा के बीच में एक उपास्थि है। वहाँ अपनी ऊँगली को रखें।
  • एक लंबी गहरी साँस ले और साँस छोड़ते हुए, धीरे से उपास्थि को दबाएँ। आप उपास्थि को दबाए हुए रख सकते हैं अथवा ऊँगली से पुनः दबा य छोड़ सकते हैं। यह प्रक्रिया करते हुए लंबी भिनभिनाने वाली (मधुमख्खी जैसे) आवाज़ निकालें।
  • आप नीची ध्वनि से भी आवाज़ निकाल सकते हो परंतु ऊँची ध्वनि निकलना अधिक लाभदायक है।
  • पुनः लंबी गहरी साँस ले और इस प्रक्रिया को ३-४ बार दोहराएँ।

भ्रामरी प्राणायाम से पहले और बाद में करने वाले कुछ योगासन

यह प्राणायाम व्यायाम करने के पश्चात् करना चाहिए परंतु यह कभी भी बाद में भी किया जा सकता है।

भ्रामरी प्राणायाम को करने के अन्य तरीके | Variations in Bhramari pranayama

आप भ्रामरी प्राणायाम अपनी पीठ के बल लेट कर अथवा अपनी दाहिनी ओर करवट लेकर भी कर सकते है। जब आप अपनी पीठ के बल लेते हो तो सिर्फ गिलगिलने की आवाज़ निकाले। तर्जनी ऊँगली को कण पर रखने के बारे में न सोचें ।भ्रामरी प्राणायाम दिन में ३-४ बार किया जा सकता है।

भ्रामरी प्राणायाम के लाभ |Benefits of Bhramari pranayama

  • यह प्राणायाम व्यक्ति को चिंता, क्रोध व उत्तेजना से मुक्त करता है। हाइपरटेंशन के मरीजों के लिए यह प्राणायाम की प्रक्रिया अत्यंत लाभदायक है।
  • यदि आपको अधिक गर्मी लग रही है या सिरदर्द हो रहा है तो यह प्राणायाम करना लाभदायक है।
  • माइग्रेन के रोगियों के लिए यह प्राणायाम लाभदायक है।
  • इस प्राणायाम के अभ्यास से बुद्धि तीक्ष्ण होती है।
  • आत्मविश्वास बढ़ता है।
  • उच्च रक्त-चाप सामान्य हो जाता है।
  • ध्यान द्वारा मन शांत हो जाता है।

भ्रामरी प्राणायाम करते समय निमंलिखित चीज़ों पर ध्यान दे

  • ध्यान दे की आप अपनी ऊँगली उपास्थि पर ही रखें, कान पर न रखें।
  • उपास्थि को ज़्यादा ज़ोर से न दबाएँ। धीरे से ऊँगली को दबाएँ।
  • भिनभिनाने वाली आवाज़ निकलते हुए, अपने मुँह को बंद रखें।
  • भ्रामरी प्राणायाम करते समय आप अपनी उँगलियों को षण्मुखी मुद्रा में भी रख सकते हैं।
  • प्राणायाम करते समय अपने चहरे पर दबाव न डालें
  • इस प्राणायाम तो ३-४ से अधिक न करें।

अंतर्विरोध | Contraindications

भ्रामरी प्राणायाम करने के कोई भी अंतर्विरोध नही हैं। बच्चे से लेकर वृद्ध व्यक्ति तक कोई भी यह प्राणायाम किसी भी योग प्रशिक्षक द्वारा सीख सकता है। यह प्राणायाम खाली पेट ही करना चाहिए।


connectclue-linkedin-share

More articles:


Recent lost & found:


Login for enhanced experience

connectclue-tick Create and manage your profile

connectclue-tick Refer an author and get bonus Learn more

connectclue-tick Publish any lost and found belongings

connectclue-tick Connect with the authors & add your review comments

connectclue-tick Join us for Free to advertise for your business or Contact-us for more details

connectclue-tick Join us for Free to publish your own blogs, articles or tutorials and get your Benefits

connectclue-login

Back to top