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2. अपनी सोच और अप्रोच हमेशा सकारात्मक और प्रगतिशील रखें. नकारात्मक सोचनेवालों के साथ ज़्यादा बातचीत न करें.
3. रात को जल्दी सोने की आदत डालें और सुबह भी जल्दी उठें.
4. हल्का व्यायाम ज़रूर करें और हेल्दी नाश्ता करें.
5. ऑफिस को कभी भी घर पर न लेकर आएं. वहां का प्रेशर, वहां के तनाव वहीं छोड़कर आएं. अपने परिवार के साथ एन्जॉय करें.
6. रोज़ाना अपनी टू डू लिस्ट अपडेट करें यानी दिनभर में आपको जो भी काम करना हो, उसकी लिस्ट बनाएं.
7.खाना हमेशा आराम से चबा-चबाकर खाएं, यह आपकी सेहत और पाचन शक्ति के लिए अच्छा होगा.
8. रीडिंग हैबिट डेवलप करें यानी रोज़ाना कोई अच्छी क़िताब, अच्छा साहित्य ज़रूर पढ़ें. यह न स़िर्फ आपका ज्ञान बढ़ाएगा, बल्कि आपको सकारात्मक बनाकर रचनात्मकता भी बढ़ाएगा.
9. अख़बार ज़रूर पढ़ें या फिर न्यूज़ देखें, ताकि आपकी जानकारी अपडेट रहे.
10. बैठते वक़्त ध्यान रखें कि पैरों को क्रॉस करके न बैठें, इससे रक्त संचार में रुकावट पैदा होती है, जिससे पीठ दर्द, कमर दर्द के अलावा वेरिकोज़ वेन्स और स्पाइडर वेन्स की समस्या भी होती है.
11. बेहतर होगा आप घुटनों की बजाय एंकल से क्रॉस करके बैठें.
12. बहुत ज़्यादा हाई हील्स न पहनें. 2 इंच से ज़्यादा हील्स पहनने से सेहत को नुक़सान हो सकता है.
13. लगातार कंप्यूटर पर काम न करें, इससे आंखों, कंधों और गर्दन पर प्रभाव पड़ता है. बीच-बीच में ब्रेक लें. कुछ सेकंड तक आंखें बंद करें और गर्दन व कंधों को भी घुमाकर रिलैक्स करें.
14. हमेशा अपने मोबाइल पर ही न बिज़ी रहें. जब परिवार के साथ हों या वॉक वगैरह पर जाएं, तो बेहतर होगा कि मोबाइल स्विच ऑफ कर दें.
15. हाइजीन का ख़्याल रखें. ओरल से लेकर पर्सनल हाइजीन न स़िर्फ आपकी पर्सनैलिटी के लिए, बल्कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए भी बहुत ज़रूरी है.
16. खाना खाने से पहले और खाना बनाने से पहले भी साबुन से हाथ ज़रूर धोएं.
17. खांसते व छींकते वक़्त हाथ या रुमाल ज़रूर रखें.
18. सोने से पहले ब्रश करना न भूलें.
19. घर में वेंटिलेशन अच्छा होना चाहिए. दिन के समय खिड़कियां खुली रखें, ताकि ताज़ी हवा और भरपूर रोशनी रहे. एसी का प्रयोग ज़रूरत पड़ने पर ही करें और समय-समय पर क्लीन भी करवाते रहें.
20. हर बात पर टोकना या दूसरे की ग़लतियां निकालना बंद कर दें. इससे आपका चिड़चिड़ापन बढ़ेगा और लोग आपको एक नेगेटिव इंसान समझेंगे.
21. छुट्टी के दिन दिनभर आलस में पड़े न रहें और न ही टीवी या कंप्यूटर के साथ चिपके रहें.
फैमिली के साथ वक़्त बिताएं. कहीं घूमने जाएं. बातचीत करें. बच्चों को समय दें.
22. मैसेज करते समय अक्सर लोग गर्दन झुकाकर फोन पर मैसेज पढ़ते या टाइप करते हैं, लेकिन यह तरीक़ा ग़लत है. इससे गर्दन पर ज़ोर पड़ता है और दर्द हो सकता है.
23. जंक फूड कम खाएं. यह न स़िर्फ मोटापा बढ़ाता है, बल्कि इसमें कैंसर उत्पन्न करनेवाले तत्व भी होते हैं.
24. अक्सर लोग कान साफ़ करने के लिए अपनी हेयर पिन, पेन या पेंसिल का इस्तेमाल करते हैं, जबकि यह ख़तरनाक हो सकता है. सबसे सुरक्षित तरीक़ा है कि छोटी उंगली पर टॉवल लपेटकर कान को साफ़ करें या फिर ईयर ड्रॉप्स का इस्तेमाल करें.
25. अपना वज़न नियंत्रण में रखने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं. अगर आप मोटापे के शिकार हैं, तो उससे जुड़े रिस्क फैक्टर्स पर ध्यान दें, जैसे- उच्च रक्तचाप, डायबिटीज़, स्ट्रोक या हार्ट डिसीज़.
26. हर व्यक्ति की ज़रूरत और बॉडी क्लॉक अलग होता है, उसी के अनुसार डायट और एक्सरसाइज़ प्लान करें. अपना हफ़्तेभर का डायट प्लान करके चार्ट बना लें.
27. अपने डायट से सैचुरेटेड ़फैट्स और ट्रान्स ़फैट्स की मात्रा कम करें. रेड मीट, डेयरी प्रोडक्ट्स, फ्राइड व बेक्ड फूड, कैंडीज़ और प्रोसेस्ड फूड में कमी कर दें.
28. अलग-अलग प्रोटीन्स लें. ये आपको बीन्स, नट्स, सीड्स, टोफू, सोया प्रोडक्ट्स में मिलेंगे. कैल्शियम युक्त पदार्थ भी ज़रूर लें, जैसे- दूध, छाछ और दही. इसके अलावा हरी पत्तेदार सब्ज़ियां भी कैल्शियम की अच्छी स्रोत हैं.
29. ओवर ईटिंग से बचें. हमेशा भूख से थोड़ा कम ही खाएं. अक्सर अपना मनपसंद खाना देखते ही हम ज़्यादा खा लेते हैं, लेकिन ऐसा न करें.
30. बहुत ज़्यादा पेन किलर्स न खाएं. अक्सर हम सिरदर्द या बदनदर्द होते ही कोई भी पेनकिलर खा लेते हैं, जो नुक़सानदायक हो सकती है. बेहतर होगा कोई घरेलू नुस्ख़ा आज़माएं या फिर डॉक्टर की सलाह लें.
31. वीकेंड्स पर मसाज करवाएं. इससे थकान भी मिटेगी और रक्त संचार भी बेहतर होगा.
32. छुट्टियां प्लान करें और आउट स्टेशन जाएं, क्योंकि हवा-पानी बदलने से न स़िर्फ आप रिफ्रेश हो जाते हो, बल्कि पेट संबंधी रोग भी कम होते हैं.
33. नियमित रूप से हेल्थ चेकअप भी करवाते रहें. कई बार डायबिटीज़ या उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों का सालों तक पता नहीं चल पाता.
34. रात को आंखों में गुलाबजल डालें या फिर रुई के फाहों को गुलाबजल में भिगोकर आंखों पर रखें. इससे आंखों की थकान मिट जाती है.
35. सबको एक साथ ख़ुश रखना नामुमकिन है. अगर आपको लगता है कि आपकी लाख कोशिशों के बावजूद कुछ लोग आपको नापसंद करते हैं, तो यह उनकी समस्या है. ख़ुद को इसके लिए दोष न दें और ख़ुश रहना सीखें. यह बात अच्छी तरह से समझ लें कि एक साथ सबको ख़ुश नहीं रखा जा सकता.
36. जो चीज़ें आपके नियंत्रण से बाहर हों, उनके लिए तनाव लेना बेव़कूफ़ी है, जैसे- आप समय से घर से निकलें, लेकिन ट्रेन या बस लेट है या ट्रैफिक बहुत ज़्यादा है, तेज़ बारिश या अन्य किसी वजह से देरी हो गई, तो तनाव न लें, क्योंकि यह आपके बस की बात ही नहीं है और इसमें आपका कुसूर भी नहीं है.
37. कभी भी किसी दूसरे की तरक़्क़ी या ख़ुशी देखकर हीनभावना न पालें. दुनिया में ऐसे बहुत-से लोग होंगे ही जिनके पास आपसे ज़्यादा क़ामयाबी और पैसा होगा. आप अपना काम मेहनत से कर रहे हैं इसकी तसल्ली रखिए.
38. ज़िंदगी के हर पल को पूरी तरह से जी लेने का जज़्बा पैदा करें. हमेशा ज़िंदगी से शिकायत करते रहने से हालात बदलेंगे नहीं, बल्कि आपके दुख ही बढ़ेंगे. ऐसे में ज़िंदगी में जो अच्छे पल आपके पास हैं, वो भी आप से छिन जाएंगे. बेहतर होगा, उन्हें एंजॉय करें.
39. ड्रामैटिक होकर सहानुभूति बटोरने की आदत है, तो फौरन उसे सुधारने पर ध्यान दें. बहुत-से लोग अपनी निजी ज़िंदगी, अपनी बीमारी और घरेलू समस्याओं को सबके सामने बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं और सोचते हैं, इससे लोगों की सहानुभूति उन्हें मिलेगी. जबकि पीठ पीछे यही लोग उनकी इस आदत का मज़ाक बनाते हैं, क्योंकि ये समस्याएं तो सभी की हैं, लेकिन हर कोई इन्हें अटेंशन पाने का ज़रिया नहीं बनाता.
40. लोगों के बारे में एक ही धारणा कायम न कर लें. न ही सबको एक ही तराज़ू में तौलें. हर परिस्थिति अलग होती है और अलग-अलग परिस्थिति में लोग अलग-अलग तरह से प्रतिक्रिया देते हैं. मन में एक ही बात बैठाकर उसी नज़रिए को सही न मानें.
41. हर बात को दिल से न लगा लें और न ही पर्सनली लें. मज़ाक सहना भी सीखें वरना आप एक नकारात्मक इंसान के रूप में जाने जाएंगे और लोग आपसे दूर रहने में ही अपनी भलाई समझेंगे.
42. बीती बातों से ही चिपके न रहें. हमेशा आगे की सोचें.
43. झूठ बोलने से बचें. कई लोग अपनी झूठी प्रशंसा करते हैं या फिर रिश्तों में भी झूठ बोलते हैं, जिससे आगे चलकर आपके रिश्ते बिगड़ सकते हैं और साथ ही आपके बारे में लोगों की राय भी बदल सकती है. कोई भी आप पर भरोसा नहीं करेगा.
44. इस बात को भी स्वीकारें कि आप परफेक्ट नहीं हैं और आपसे भी ग़लतियां हो सकती हैं. अपनी ग़लती मानें और सॉरी कहना भी सीखें.
45. रोज़ाना ख़ुद को बेहतर बनाने का प्रयास करें. हर किसी से कुछ न कुछ सीखने को मिलता है. दूसरों से और अपनी ग़लतियों से भी सीखें तथा ख़ुद को और बेहतर इंसान बनाने की दिशा में प्रयास करें.
46. अपने गुणों और हॉबीज़ पर ध्यान दें. अपनी पॉज़ीटिव बातों को लोगों के सामने लाएं.
47. दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहें. इससे आपका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा और मन में संतोष भी रहेगा.
48. ख़ुद को पैंपर करना भी कभी-कभी बहुत अच्छा होता है. अपने लिए वक़्त निकालें. छुट्टी लेकर पूरा दिन अपने हिसाब से बिताएं. घूमने जाएं, शॉपिंग करें या मूवी देखें. इससे आप तरोताज़ा हो जाएंगे.
49. ज़िंदगी में सभी को सब कुछ नहीं मिलता. जो नहीं मिला उसकी आस में रोने की बजाय जो मिला है उसकी कद्र करें.
50. ख़ुद को बहुत ज्ञानी साबित करने के लिए बेवजह दूसरों को सलाह न दें. सलाह देने की बजाय उनकी समस्या को सुनें, समझें और जितना हो सके, मदद करें.
51. ख़ुद से प्यार करना सीखें. दूसरों की तरह बनने या उनकी नकल करने के प्रयास में अपनी पहचान न खोएं. आप जैसे भी हैं, अच्छे हैं. अपनी कमियों को ज़रूर सुधारें, पर ख़ुद को कम न आंकें.
52. ज़िंदगी की भागदौड़ और तनाव में आपकी हंसी गायब न हो जाए, इसलिए खुलकर हंसे. खुलकर हंसने से फेफड़ों में लचीलापन बढ़ता है और उन्हें ताज़ी हवा मिलती है.
53. रोज़ाना थोड़ा ध्यान लगाएं. इससे एकाग्रता बढ़ती है और आप रिफ्रेश महसूस करते हैं.
54. अपनी भावनाओं और मूड पर नियंत्रण रखने का प्रयास करें. बहुत ज़्यादा ग़ुस्सा न करें, न ही बहुत दुखी या उदास रहें.
समाज में भी अपने व्यवहार और भावनाओं में संतुलन बनाए रखें.
Post updated on: Oct 10, 2021 7:58:25 AM
माता-पिता अक्सर अपने बच्चों को स्वास्थ रखने के लिए (Children Health Tips) क्या कुछ नहीं करते लेकिन कई बार जानकारी का आभाव, उनके बच्चे के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में अगर हम शुरुआत से ही ये जानें कि बच्चे को कब, किस उम्र में स्वास्थ्य से जुड़ी कौन सी परेशानियां हो सकती हैं, तो हम उन्हें हमेशा मानसिक और शारीरिक (Child health issues) रूप से फिट रख सकते हैं। इसके लिए हम बच्चों को आमतौर पर हम 5 एज ग्रुप कैटेगरी में बांट सकते हैं और उसी के अनुसार उनके स्वास्थ्य का ख्याल रख सकते हैं।
1. टॉडलर (toddlers) - 1 से 3 वर्ष की उम्र के बच्चे
इस उम्र के बच्चों को सबसे ज्यादा मां की देखभाल की जरूरत होती है। ऐसा इसलिए क्यों इस उम्र में ही बच्चा चलना, बोलना और खाना सीखता है। इस दौरान बच्चे की शारीरिक (Children Health) और मानसिक विकास (how to improve child mental health)पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। साथ ही इसी दौरान मां-पिता को बच्चे को कई बीमारियों से बचाने के लिए उन्हें हर तरह का जरूरी टीके (vaccination chart for babies in India)लगवा देने चाहिए। जैसे कि:
- जन्म के 1 साल के दौरान बच्चे को बीसीजी (BCG), ओरल पोलियो वैक्सीन (OPV 0), हिपेटाइटिस बी (Hep ? B1), Typhoid Conjugate Vaccine (TCV#), Measles, Mumps, and Rubella (MMR ? 1) आदि ये सभी टीके लगवा दें।
- 12 महीने की उम्र में Hepatitis A (Hep ? A1), Influenza का टीका हर साल लगवा लें।
- 16 से 18 महीने की उम्र में Diphtheria, Pertussis, and Tetanus (DTP B1)का टीका लगवा दें।
2. प्रीस्कूलर (preschool age)- 3 से 5 वर्ष की उम्र के बच्चे
इस उम्र के बच्चों में उनके आहार और पोषण को खास ध्यान देने की जरूरत होती है। जैसे कि इस उम्र में बच्चों को:
- फल और सब्जियों से अवगत करवाएं।
- दलिया और खिचड़ी खिलाएं।
- बाहरी चीजों को कम ही अवगत करवाएं
इसके अलावा इस दौरान बच्चों को थोड़ा-थोड़ा व्यवहार और अनुशासन भी सीखाएं।
3. बड़े बच्चों - 5 से 8 वर्ष की उम्र के बच्चे
इस दौरान बच्चों में हमें काफी सारी चीजों का ध्यान रखना होता है। जैसे कि:
- बच्चों का शारीरिक विकास कैसा हो रहा है।
- उनका व्यवहार और अनुशासन कैसा है।
- आहार और पोषण का ध्यान रखें।
- हाइट और वेट के संतुलन का ध्यान रखें।
- खेल गतिविधियों और पढ़ाई-लिखाई का ध्यान रखें।
- इसी दौरान उसमें मेमोरी और कंसंट्रेशन पावर बढ़ाने की कोशिश करें।
4. 9 से 12 वर्ष की उम्र के बच्चे (early adolescent age)
इस उम्र में बच्चों के शरीर में बड़ी तेजी से बदलाव आता है। जैसे कि:
- वजन बढ़ाना
- मांसपेशियों की वृद्धि
- परिपक्वता के साथ विकास में तेजी से अनुभव करना
- लड़कियों में पिट्यूटरी ग्लैंड में टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन से हार्मोन उत्पन्न होना जैसे कि एस्ट्रोजन / प्रोजेस्टेरोन। यह आमतौर पर लड़कियों में 9 से 12 की उम्र में शुरू हो जाता है।
- लड़कों में 11 से 14 वर्ष की आयु में होर्मेनल हेल्थ में विकास आता है।
5. टीनएजर्स (teenage health problems)- 13 से लेकर 19 तक के बड़े बच्चे
- त्वचा ऑयली हो जाती है और मुंहासे व दाने होने लगते हैं।
- पसीना बढ़ता है और युवाओं को शरीर से दुर्गंध आती है।
- प्यूबिस हेयर का ग्रोथ होता है और लड़कों में दाढ़ी आने लगती है।
- शारीरिक अनुपात बदल जाता है जैसे कि लड़कियों में कूल्हे चौड़े और लड़कों में कंधे चौड़े हो जाते हैं।
- तेजी से बढ़ने के कारण जोड़ों में दर्द हो सकता है।
- लड़कों में आवाज बदलने लगती है और मूड स्विंग्स होते हैं।
- लड़कियों में स्तन विकसित होते हैं और ओव्यूलेशन और पीरियड्स शुरू हो जाते हैं।
- इस दौरान बच्चे की मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना बहुत जरूरी हो जाता है।
बच्चों की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या- Common Childhood Illnesses
- गले में खराश बच्चों में आम है और दर्दनाक हो सकता है, जो कि उम्र बदलने के साथ बढ़ता और घटता रहता है।
- बच्चों में कान का दर्द होना (ear pain in children)।
- दांत में दर्द (toothache pain in child) क्योंकि इस दौरान नए दांतों का आना और पुराने दांतों का टूटना चलता रहता है।
- मूत्र पथ के संक्रमण या यूटीआई इंफेक्शन (UTI infection in kids)
- बच्चों में त्वचा से जुड़ी समस्याएं, जैसे रैशेज, खुजली, इंफेक्शन और एक्ने (acne in adolescence)आदि।
- बच्चों में ब्रोंकाइटिस और अस्थमा की परेशानी (asthma in children)
- बच्चों में सर्दी जुकाम (cough and cold in child)
- बैक्टीरियल साइनसिसिस या साइनस की परेशानी
- बच्चों में कफ की समस्या
- बच्चों में मोटापा (Childhood obesity)
- बच्चों में डायबिटीज (diabetes in children or childhood diabetes type 2)
- बच्चों में हार्मोनल परिवर्तन (hormonal imbalance in child)
- बच्चों में मानसिक रोग (mental illness in children) जैसे ADHD, एंग्जायटी और डिप्रेशन
- बच्चों में तनाव (stress and anxiety in young adults)
Post updated on: Oct 6, 2021 1:40:43 AM
1. जल
रोजाना 8 से 12 कप पानी पिएं।
2. गहरी हरी सब्जियां
हफ्ते में कम से कम तीन से चार बार हरी सब्जियां खाएं। अच्छे विकल्पों में ब्रोकोली, मिर्च, ब्रसेल्स स्प्राउट्स और पत्तेदार साग जैसे केल और पालक शामिल हैं।
3. साबुत अनाज
रोजाना कम से कम दो या तीन बार साबुत अनाज खाएं। साबुत गेहूं का आटा, राई, दलिया, जौ, ऐमारैंथ, क्विनोआ या एक मल्टीग्रेन देखें। फाइबर के एक अच्छे स्रोत में प्रति सर्विंग में 3 से 4 ग्राम फाइबर होता है। एक बेहतरीन स्रोत में प्रति सेवारत 5 या अधिक ग्राम फाइबर होता है।
4. बीन्स और दाल
सप्ताह में कम से कम एक बार बीन आधारित भोजन खाने की कोशिश करें। सूप, स्टॉज, कैसरोल, सलाद और डिप्स में बीन्स और दाल सहित फलियां जोड़ने की कोशिश करें या उन्हें सादा खाएं।
5. मछली
सप्ताह में दो से तीन सर्विंग मछली खाने की कोशिश करें। एक सर्विंग में 3 से 4 औंस पकी हुई मछली होती है। अच्छे विकल्प सामन, ट्राउट, हेरिंग, ब्लूफिश, सार्डिन और टूना हैं।
6. जामुन
हर दिन अपने आहार में दो से चार सर्विंग फलों को शामिल करें। रास्पबेरी, ब्लूबेरी, ब्लैकबेरी और स्ट्रॉबेरी जैसे जामुन खाने की कोशिश करें।
7. शीतकालीन स्क्वैश
बटरनट और एकोर्न स्क्वैश के साथ-साथ अन्य समृद्ध रंगद्रव्य वाले गहरे नारंगी और हरे रंग की सब्जियां जैसे मीठे आलू, कैंटलूप और आम खाएं।
8. सोया
कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करने के लिए कम वसा वाले आहार के हिस्से के रूप में एक दिन में 25 ग्राम सोया प्रोटीन की सिफारिश की जाती है। टोफू, सोया मिल्क, एडामे सोयाबीन, टेम्पेह और टेक्सचराइज्ड वेजिटेबल प्रोटीन (टीवीपी) ट्राई करें।
9. अलसी, मेवा और बीज
प्रत्येक दिन भोजन में 1 से 2 बड़े चम्मच अलसी या अन्य बीज शामिल करें या अपने दैनिक आहार में मध्यम मात्रा में नट्स - 1/4 कप - शामिल करें।
10. जैविक दही
19 से 50 वर्ष की आयु के पुरुषों और महिलाओं को एक दिन में 1000 मिलीग्राम कैल्शियम और 50 या उससे अधिक उम्र के 1200 मिलीग्राम की आवश्यकता होती है। कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ जैसे नॉनफैट या कम वसा वाले डेयरी उत्पाद दिन में तीन से चार बार खाएं। जैविक विकल्प शामिल करें।
Post updated on: Oct 3, 2021 3:41:30 AM
भ्रामरी प्राणायाम का नाम भारत में पाई जाने वाली बढ़ई मधुमक्खी से प्रेरित है जिसे भ्रामरी भी कहा जाता है। इस प्राणायाम को करने के पश्चात व्यक्ति का मन तुरंत शांत हो जाता है। इस प्राणायाम के अभ्यास द्वारा, किसी भी व्यक्ति का मन, क्रोध, चिंता व निराशा से मुक्त हो जाता है। यह एक साधारण प्रक्रिया है जिसको घर य ऑफिस, कहीं पर भी किया जा सकता है। यह प्राणायाम चिंता-मुक्त होने का सबसे अच्छा विकल्प है।
इस प्राणायाम में साँस छोड़ते हुए ऐसा प्रतीत होता है की आप किसी बढ़ई मधुमक्खी की ध्वनि निकाल रहे हैं। जो इसके नाम का स्पष्टीकरण करता है।
भ्रामरी प्राणायाम का वैज्ञानिक तात्पर्य
यह प्राणायाम मस्तिष्क की तंत्रिकाओं को आराम देता है और मस्तिष्क के हिस्से को विशेष लाभ प्रदान करता है। मधु-मक्खी की ध्वनि की तरंगे मन को प्राकृतिक शांति प्रदान करती हैं।
भ्रामरी प्राणायाम करने की प्रक्रिया |How to do Bhramari pranayama
- किसी भी शांत वातावरण, जहाँ पर हवा का प्रवाह अच्छा हो बैठ जाएँ। अपने चेहरे पर मुस्कान को बनाए रखें।
- कुछ समय के लिए अपनी आँखों को बंद रखें। अपने शरीर में शांति व तरंगो को महसूस करें।
- तर्जनी ऊँगली को अपने कानों पर रखें। आपके कान व गाल की त्वचा के बीच में एक उपास्थि है। वहाँ अपनी ऊँगली को रखें।
- एक लंबी गहरी साँस ले और साँस छोड़ते हुए, धीरे से उपास्थि को दबाएँ। आप उपास्थि को दबाए हुए रख सकते हैं अथवा ऊँगली से पुनः दबा य छोड़ सकते हैं। यह प्रक्रिया करते हुए लंबी भिनभिनाने वाली (मधुमख्खी जैसे) आवाज़ निकालें।
- आप नीची ध्वनि से भी आवाज़ निकाल सकते हो परंतु ऊँची ध्वनि निकलना अधिक लाभदायक है।
- पुनः लंबी गहरी साँस ले और इस प्रक्रिया को ३-४ बार दोहराएँ।
भ्रामरी प्राणायाम से पहले और बाद में करने वाले कुछ योगासन
यह प्राणायाम व्यायाम करने के पश्चात् करना चाहिए परंतु यह कभी भी बाद में भी किया जा सकता है।
भ्रामरी प्राणायाम को करने के अन्य तरीके | Variations in Bhramari pranayama
आप भ्रामरी प्राणायाम अपनी पीठ के बल लेट कर अथवा अपनी दाहिनी ओर करवट लेकर भी कर सकते है। जब आप अपनी पीठ के बल लेते हो तो सिर्फ गिलगिलने की आवाज़ निकाले। तर्जनी ऊँगली को कण पर रखने के बारे में न सोचें ।भ्रामरी प्राणायाम दिन में ३-४ बार किया जा सकता है।
भ्रामरी प्राणायाम के लाभ |Benefits of Bhramari pranayama
- यह प्राणायाम व्यक्ति को चिंता, क्रोध व उत्तेजना से मुक्त करता है। हाइपरटेंशन के मरीजों के लिए यह प्राणायाम की प्रक्रिया अत्यंत लाभदायक है।
- यदि आपको अधिक गर्मी लग रही है या सिरदर्द हो रहा है तो यह प्राणायाम करना लाभदायक है।
- माइग्रेन के रोगियों के लिए यह प्राणायाम लाभदायक है।
- इस प्राणायाम के अभ्यास से बुद्धि तीक्ष्ण होती है।
- आत्मविश्वास बढ़ता है।
- उच्च रक्त-चाप सामान्य हो जाता है।
- ध्यान द्वारा मन शांत हो जाता है।
भ्रामरी प्राणायाम करते समय निमंलिखित चीज़ों पर ध्यान दे
- ध्यान दे की आप अपनी ऊँगली उपास्थि पर ही रखें, कान पर न रखें।
- उपास्थि को ज़्यादा ज़ोर से न दबाएँ। धीरे से ऊँगली को दबाएँ।
- भिनभिनाने वाली आवाज़ निकलते हुए, अपने मुँह को बंद रखें।
- भ्रामरी प्राणायाम करते समय आप अपनी उँगलियों को षण्मुखी मुद्रा में भी रख सकते हैं।
- प्राणायाम करते समय अपने चहरे पर दबाव न डालें
- इस प्राणायाम तो ३-४ से अधिक न करें।
अंतर्विरोध | Contraindications
भ्रामरी प्राणायाम करने के कोई भी अंतर्विरोध नही हैं। बच्चे से लेकर वृद्ध व्यक्ति तक कोई भी यह प्राणायाम किसी भी योग प्रशिक्षक द्वारा सीख सकता है। यह प्राणायाम खाली पेट ही करना चाहिए।
Post updated on: Oct 2, 2021 12:44:08 AM
दोस्तों शरीर को स्वस्थ रखने के उद्देश्य से मानव तरह तरह के व्यायाम करता रहता है, जिससे उसका शरीर स्वस्थ होता है, और शरीर से बीमारियों का नाश भी, वैसे ही मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के उद्देश्य से ध्यान करना चाहिए। मनुष्य ध्यान करने के लिए भी भिन्न भिन्न पद्धति अपनाता रहता है, उन्ही में से एक है, विपस्सना ध्यान (Vipassana meditation)।
इसको करके हम जहाँ मानसिक रूप से स्वस्थ हो सकते है, वहीँ अपने ऊपर नियंत्रण भी रखना सीखते है। आज हम समझेंगे की कैसे इसको समझ कर इसका उपयोग किया जा सकता है और मानसिक रूप से स्वस्थ हुआ जा सकता है तो शुरू करते है, विपस्सना ध्यान को समझकर उपयोग करने की।
विपस्सना ध्यान क्या है?
इसके उपयोग को समझने से पहले हम समझेंगे की ? विपस्सना ध्यान होता क्या है? असल में विपासना ध्यान, मन को स्वस्थ, शांत और निर्मल करने की वैज्ञानिक विधि होती है। यह आत्मनिरीक्षण की एक प्रभावकारी विधि है। इससे आत्मशुद्धि की जाती है। दूसरे शब्दों में इसे मन का व्यायाम कहा जा सकता है।
जिस तरह शारीरिक व्यायाम करने से शरीर को स्वस्थ और मज़बूती प्रदान की जाती है, वैसे ही विपस्सना ध्यान से मन को स्वस्थ बनाया जा सकता है। हर परिस्थिथियो का सामना करने के उद्देश्य से इस ध्यान का उपयोग किया जाता है और इसके निरंतर अभ्यास से मन हर स्थिति में संतुलित रहता है।
असल में विपस्सना शब्द पाली भाषा के शब्द ?पस्सना? से बना है, जिसका अर्थ है ?देखना? (जो चीज जैसी है, उसे उसके सही रूप में देखना)
यह तकनीक हजारों साल पहले की तकनीक है, इसका उद्धव लगभग 2600 साल पहले महात्मा बुद्ध द्वारा किया गया। बीच में यह विद्या लुप्त हो गई थी। दिवंगत सत्य नारायण गोयनका सन 1969 में इसे म्यांमार से भारत लेकर आए।
चलती हुई श्वास को; जैसी चल रही है बस बैठकर उसे देखते रहना है ही विपस्सना ध्यान कहलाता है। इसको हम उदाहरणों की मदद से समझने का प्रयास करेंगे, जैसे राह के किनारे बैठकर कोई राह चलते यात्रियों को देखता है, वह क्या कर रहा है और कहाँ जा रहा है, उसकी सारी गतिविधिओ को देखता है। नदी-तट पर बैठ कर नदी की बहती धार को देखता है उसमे उपस्थित मछलियों को देखता है।
राह से निकलती हुई कारें, बसें आदि को देखता है, कहने का तात्पर्य है जो भी है, जैसा है, उसको वैसा ही देखते रहना ही विपस्सना ध्यान है। जरा भी उसे बदलने की कोशिश नही करना चाहिए। बस शांत बैठ कर श्वास को देखते रहना और देखते-देखते ही श्वास और शांत हो जाती है। क्योंकि देखने में ही शांति है। इसी को विपस्सना ध्यान कहा जाता है।
विपस्सना ध्यान के लाभ
विपस्सना ध्यान करने से जहाँ मन शांत होता है वही उससे शरीर में कई परिवर्तन देखने को मिलते है। जैसे ?
- लगातार इसका अभ्यास करने से शरीर में रक्त संचार बढ़ता है, रक्त संचार बढ़ने और तनाव मुक्त होने से चेहरे में रौनक आती है।
- इसके नियमित अभ्यास से में मन शांत होता है तथा आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है।
- एकाग्रता बढ़ाने के लिए यह एक बहुत ही शानदार उपायों में से एक है। इसका नियमित अभ्यास करने से एकाग्रता बढ़ती है और ध्यान लक्ष्य की ओर केंद्रित होता है साथ ही दिमाग का विकास होता है।
- इसको करने से व्यक्ति तनाव मुक्त हो जाता है।
- इस ध्यान को करने से सकारात्मक विचार उत्पन्न होते है और नकारात्मक विचार खत्म हो जाते हैं।
- मन और मस्तिस्क बिलकुल शांत रहता है।
- मन में हमेशा शांति बनी रहती है।
- सिद्धियां स्वत: ही सिद्ध हो जाती है।
- नियमित रूप से करने से देखते-देखते ही आपके सारे रोग दूर हो जाएंगे।
- शरीर के रोगों के साथ-साथ आपका मन भी शांत हो जाएगा।
Post updated on: Sep 25, 2021 2:49:38 PM
यदी व्याक्ति मजबूर हो तो हर काम आसान से कर पाता है। इसलिये हर व्यक्ति चाहता है की वो मजबूर हो। याद कोई पुरुष मजबूर होने के साथ साथ, अच्छे कदम वाला, छोटी छती वाला हो तो वो और भी अधिक वास्तविक लगता है। योग की मदद से आप चोड़ी और मजबूर छटी पा सकता है।
योग के अंतरगत किए जाने वाले, दंडासन को इसे करने से बहुत फायदा मिला है। ये बहुत ही कम समय में व्यकी के शरीर को मजबूर बनाता है। इसे अंग्रेजी माई स्टाफ पोज योग कहा जाता है।
जो लोग दिनभर बैठाकर काम करते हैं, उनका बैठने की मुद्रा बहुत खराब हो जाता है। ऐसे लोगो को दंडसन जरूर करना चाहिए। क्योकी ये बॉडी के पोस्चर को भी सुधरता है। ये आपके रिद्ध की हदी को सीधी बनाना है।
इस्लिये याद आपको लगता है कि आपका शारिर ऊपर से जुख गया है या फिर आपकी पोशाक बॉडी शेप मैं नहीं है तो आपको इसका अभ्यास शुरू कर देना चाहिए। इस्की विधि और फायदे जाने के लिए पढ़े दंडासन
दण्डासना ? छाती मज़बूत बनाये
दण्डासना स्टेप्स में देखे इसके करने की विधि
1. दंडासन का अभ्यास करने के लिए किसी समतल जग का चुनाव करके, दारी बिछाकर बैठा जाए।
2. आपको बैठते वक्त अपनी पीठ की हदी को बिलकुल सीधा रखना है। आपके जोड़े को भी एक दूसरे से स्टाकर रखे।
3. अपने सर को भी एकदम सीधा रखें, याद आपको कन्फ्यूजन हो तो दिखे गए चित्र की मदद ले।
4. इस्के पास आप अपने जोड़े की उंगालियो को और की और मौडने की कोषिश करे और तलवो को बहार की तरफ करे।
5. सांस को समयाता चलने दे और इस स्थिति में 20 से 30 सेकेंड तक रहे।
स्टाफ़ पोज़ में की जाने वाली सावधानियाँ
जब भी आप दंडासन योग को करते हैं तो आपको कुछ चिजो का ध्यान रखना चाहिए:-
दंडासन करने मैं तो वैसा बहुत ही आसान है, लेकिन याद आपके योग के लिए नए हो तो बेहतर होगा की आप योग शिक्षक की देख में इसका अभ्यास करे।
याद आपको पीठ, कमर दर्द आदि में किसी तरह की चोट हो तो इस आसन का अभ्यास ना करे।
1. ये आसन का अभ्यास करने से कंधो और छटी में खिचाव आता है।
2. जो लोग दंडासन का अभ्यास करते हैं, उनके शरीर की मुद्रा सुधारती है।
3. इस आसन को करने से पीठ की माशपेशिया मजबूरत होती है।
4. इससे आपके पेट माई खिचव आता है और वो मजबूरत बनता है।
5. अस्थमा के इलज के लिए भी ये योगासन फैदमांड है।
6. दंडासन को करने से तनव दूर होता है और मानसिक शांति मिलती है।
ये एकग्रता बढ़ाने में मैं सहायक है इस्लिये स्टूडेंट्स को तो इस्का अभ्यास जरूर करना चाहिए।
7. इससे पचन तंत्र मजबूर होता है, और शरिर के सभी अंग मजबूर होते हैं।
8. रिध की हदी से जुडी का परेशानी इससे दूर होती है।
शुरुआत के लिए टिप:-
इसे करते वक्त आपका वजन नितांबो पर अच्छी तरह संतुलित होना चाहिए। साथ ही याद से शुरू में ये नहीं करते बन रहा है तो आप शुरू के 3 से 4 दिन इस योगासन को दिवारे के सहे टेक कर भी कर सकते हैं।
[अपने जाना दंडासन। भले ही ये आसन दिखने में आसान है लेकिन छत्ती, पेट और पीठ के लिए अच्छा व्यायाम है। ये पर्वतासन का बैठा हुआ प्रकर है। ये मुद्रा बैठाकर की जाने वाले आसन की नीव
Post updated on: Sep 24, 2021 1:24:07 AM
योग और प्राणायाम हमारे लिए बहुत फायदेमंद है। इसे करने से शरिर को ऊर्जा मिलती है। इन दोनो का नियामित अभ्यास हमारे शरिर की सुधारता है। आज हम आपको शीतली प्राणायाम के नंगे मैं बता रहे हैं।
ठंडी के मौसम ने दस्तक दी है। इन दिनों याद आप शीतली प्राणायाम का अभ्यास करते हैं तो आपको बहुत ज्यादा मिलता है। दरहसाल ये ऐसा आसन है जिसे याद गरमी के दिनो मैं किया जाए तो उसे शरिर को थंडक मिल्टी है और वही यादी ठंडा के दिनो मैं किया जाए तो शरिर को गरमहट मिलती है।
ये प्राणायाम तनव को दूर कर मानसिक शांति प्रदान करता है। जिन लोगो को बार बार सर दर्द होने की शिकायत है उन्हे तो इस्का अभ्यास जरूर करना चाहिए। इसी विधि और लाभ जाने के लिए आए देखते हैं शीतली प्राणायाम
शीतली प्राणायाम जाने इसे करने की विधि और लाभ
शीतली प्राणायाम चरण: इसे कैसे करें?
शीतली प्राणायाम एक तराह की ब्रीदिंग एक्सरसाइज है। इसे करने के लिए सबसे पहले तो एक हवादार और समतल जग का चुनाव करे। अब इस जगह पर आप दारी या छताई बेचकर बैठे जाए। इस आसन को करने के लिए आप सुखासन की मुद्रा मैं बैठा सकते हैं। अब इस मुद्रा मैं बैठने के बाद अपनी जीवन को बहार की और निकल ले। जीवन को बहार निकलने के बाद आपको उससे एक नाली के समान बनाना है। याद आपको नहीं समझ आ रहा है तो आप दिए गए चित्र को देख कर अनुमन लगा सकते हैं।
अब अपनी जीभ जिसे आपने नाली के समान बनाया हुआ है इसकी मदद से आप गहरी सांस ले। आपको इतनी गहरी सांस लेना है की आपका पेट वायु से भर जाए। इस्के पश्च अपनी जीवन को आप और कर ले तथा मुह को भी बंद कर दे।
अब आपको अपना बगीचा को आगे की और झुकना है और अपने जबड़े के अलगे को छती तक ले जाना है। इस्के खराब अपनी स्वैस को कुछ सेकंड के लिए रोक ले।
अब अपनी बगीचा को छट्टी से दूर करे, फिर बगीचा सीधी कर ले। इस्के खराब नाक से स्वस को बहार की और कर दे। जब आप सांस लेते हैं उसमें आपको जिन्ना समय लगा, उससे ज्यादा समय लगे हुए सांसों को बहार निकले। इस आसन का अभ्यास आप अपनी ख़ासता के अनुभव ही करे। इसे आप 9-49 बार तक कर सकते हैं।
शीतली प्राणायाम के लाभ: इसे मिलने वाले फायदे
ये आपके शरीर से गरमी को दूर करता है, इसलिय इसे खासर गरमी के दिनों में मैं किया जाता है।
ये आपके भुख को काम करता है, इसलिय वजन को काम करने के लिए भी ये बहुत ऊपर योगी है।
जिन लोगो को पचन से संबंध समस्या है उन्हें इस आसन का अभ्यास जरूर करना चाहिए।
याद किसी व्यक्ति को पेट माई अलसर या फिर एसिडिटी जैसी समस्या है तो वो भी इस आसन को करके लाभ पा सकते हैं।
इस्का अभ्यास रक्तचाप को काम करता है। इस्लीए हृदय रोग मैं यह बहुत ऊपर योगी है।
ये प्राणायाम हर मौसम मैं फायदेमंद है, याद इसे गरमी मैं किया जाए तो ये ठंडा देता है वही इसे यादी सरदी मैं किया जाए तो ये शरिर को गरमहट देता है।
याद आप को अनिद्र याने की नंद ना आना जैसी समस्या है तो इसे जरूर करें। इसे करने से आपको रात के समय अच्छी निंद आती है।
शीतली प्राणायाम को करने से रक्त साफ होता है। इसलिये जो लोग इसे नियम करते हैं उनकी सुंदरता बढ़ती है।
जिन लोगो को बार गुसा आता है उन्हे इस्स प्राणायाम का अभ्यास जरूर करना चाहिए। इस्से उन्हे लाभ जरूर मिला है।
शीतली प्राणायाम सावधानियां - इसमे सावधानिया
जिन लोगो का रक्तचाप कम हो उनको इस्का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
थंड के दिनो मैं इस्का अभ्यास बहुत कम करे, और याद सरदी जुखम हो तो बिलकुल भी ना करे।
[पर आपने जाना शीतली प्राणायाम। इसे करके आप का तार के लाभ प्रप्त कर सकते हैं। लेकिन याद इसे करने पर आपको किसी तरह की कहानी हो रही है तो चिकित्सा से पहले संपर्क करे। इस्का अभ्यास पुरा होने के खराब विश्राम जरूर करे।]
Post updated on: Sep 21, 2021 7:08:14 AM
जब बात शारिर के किसी विशिष्ट भाग के फिटनेस की आती है तो अक्सर लोगो को एक आम गल्ती करके देखा जा सकता है। शेप्ड, फिट और स्ट्रॉन्ग मसल्स वाले शारिर की चाह रखने वाले अधिकांश लोग घटो कमर तोड़ एक्सरसाइज करते हैं। लेकिन अहम बात ये है की वाह जो एक्सरसाइज करते हैं उसका उनको पूरा लाभ मिल भी रहा है या नहीं?
ठीक ऐसी ही स्थिति पेट का मोटा काम करते समय होती है। लोगो माई बेली फैट को काम करने को लेकर आम धरन रहती है की याद बेली का फैट काम कर फ्लैट पेट पाना है तो अच्छे सारे क्रंचेस करना शुरू कर दो। याद आप भी ऐसा कर रहे हैं तो आपको जान कर दुख होगा की सही तारिका ना अपने पर सैकडो क्रंचेस करना के बाद भी आपका पेट फ्लैट नहीं होगा।
पेट की चारबी को काम करने के लिए पेट के लिए बनी एक्सरसाइज कर लेना मातृ ही कफी नहीं है। इसे हम आपको एक उडान की मदद से समझने का प्रयास करते हैं। याद आपको कोई पेड़ काटना है तो आपको सबसे पहले उसे शक होगा को कटना होगा। बिना शक को कटे आप आसान से पेड़ को नहीं काट पायेंगे।
पेट के अंदर का मोटा काम करने के लिए केवल क्रंचेस कफी नहीं
पेट का मोटा काम करने के लिए कुछ व्यायाम
पेट की चारबी को काम करने के संदर्भ में यह काटने की क्रिया, आपके पेट का फ्लैट बनाना है और शक आपके शरीर भर में है। कटना यह प्रमुख लक्ष्य है लेकिन ये इस्स प्राक्रिया का अंतिम चरण है तथा फ्लैट पेट इसकी नियत होना चाहिए। पेट की चारबी को काम कर फ्लैट बेली पाने के लिए आपको अपने शुद्ध वजन को काम करने के लिए शरीर के वर्कआउट पर ध्यान देना होगा।
एक बार शरिर से चारबी और वजन को काम कर लेने के बाद आपको बेली के नंगे मैं सोचना और काम करना शुरू करना चाहिए। विशेष टूर पर पेट के लिए बनी एक्सरसाइज, जेसे क्रंचेस विशाल माई केवल पेट की चर्बी को खतम करने के लिए बनी है। वास्तव में ये ताकत बढ़ाने वाली एक्सरसाइज है, जो पेट पर अतिरिकत फैट को जमा होने से रोकती है। लेकिन शुरू में मैं बहुत सारे क्रंचेस करने से आपकी पीठ की मशपेशिया और रिद्ध की हदी प्रभावित होती है, जो की फ्लैट पेट पाने की राह माई आपके लिए बढ़ा बन शक्ति है। क्यूकी फ्लैट पेट पाने के लिए स्वस्थ और मजबूर रिद्ध की जरारात होती है।
याद उचित मार्गदर्शन के बिना क्रंचेस की जाए तो ये आपकी बेली को फ्लैट करने की बजाय अपनी पीठ की मशपेशियो को प्रभाव कर शक्ति है। इसलिये बेहतर होगा की आप और हौदहुंड क्रंचेस या ऐसी अन्य पेट की एक्सरसाइज करने के लिए शुद्ध शरीर के वर्कआउट पर ध्यान दे। ये कहने में कोई गुलहेज ना होगा की केवल फ्लैट पेट के लिए केवल क्रंचेस का चुनव करना समाजदारी का प्रधान कटाई ना होगा।
इस्का ये मतलाब बिलकुल क्रंचेस किया ही ना जाए। आप क्रंच सबसे ज्यादा मैं कर सकते हैं। सबसे पहले अपनी डाइट पर ध्यान दे उसके बड़ा कार्डियो, मसल्स बिल्डिंग और बाद माई एब्स एक्सरसाइज। इस क्रम व्यायाम करे और आसनी से पेट कम कर लिजिये। आपको हफ्ते में 20 मिनट कार्डियो एक्सरसाइज, 15 मिनट मसल्स बिल्डिंग और 5 मिनट केवल एब्स एक्सरसाइज करनी चाहिए।
Post updated on: Sep 14, 2021 5:39:36 PM
Sharirik Fitness Pane Ka Behtarin Tarika
Aajkal ki aniyamit jeevansheli ke chalte har teesre vyakti ko motapa,
madhumeh aur uccha raktchaap jaisi bimari ho jati hai. Aese mai aerobics aapki
madad kar sakta hai. Ham aapko batana chahte hai ki iski madad se aap pratimah
2 se 3 kilo motapa ghata sakte hai.
Aerobics ek tarah ka vyayam hai.
Jisko aap kabhi bhi kahi bhi kar sakti hai. Parantu yadi aap ise subah
subah karte hai to ise karna aur bhi faydemand hoga. Isko karne ke liye aapko
kahi bahar jane ki aavshyakta nahi hoti hai. Aap ghar par bhi rock music laga
kar aerobics kar sakte hai. Isse aap dance bhi sikh sakte hai aur aapka sharir
bhi fit rahega.
Aerobics karne se sharir mai oxygen ki aavshyakta bad jati hai. Iske duran
aapka blood circulation teji se hota hai. Jisse aapki pure sharir ko oxygen mil
jati hai. Kyuki aerobics karte samay chalna, doud lagana, jogging, dance, cycle
chalana, aur teraki karne va anya kai exercise hoti hai.
Aerobics aapki mastishak ke kaam karne ki shamata ko badata hai. Tatha
aapki badti umra ko bhi kam karne mai madad karta hai. Ek shodh ke mutabik ye
paya gaya hai ki jo log niyamit rup se aerobics karte hai unki yaaddasht shakti
badh jati hai. Aur dimag adhik sakriya rehta hai.
Aeribics karne se aapka sharir shape mai rehta hai. Aur bimariyo ka khatra
bhi kam hone ki sambhavna badhti hai. Jab bhi aap gym mai jakar vyayam karte
hai to aapke hath pairo mai jhunjhulahat hoti hai. Parantu aerobics mai aapko
kisi bhi tarah ka koi vajan nahi uthana padta hai aur aap ise aasani se kar
pate hai. Aur vistar se jaane ke liye padhe Aerobics in .
Aerobics : Banaye Sharir Ko Swasth aur Sudhol
Aerobics Benefits in Hindi: Iske Fayde Janiye
Vyayam ham sabhi ke liye jaruri hai. Lekin kai logo ko vyayam se boriyat
mehsus hone lagti hai. Parantu aerobics ke sath aesa nahi hai. Yeh naa keval
aapki mahilao mai ruchi badhata hai balki aapke man ko khus bhi kar deta hai.
Mahilao ko to ise karne mai bahut dilchaspi hoti hai.
Iske piche ka karan yeh hai ki isme rock music hota hai, jo ki manoranjan
ka accha sadhan hai. Sath hi aerobics karne se aapki kaafi calorie burn hoti
hai. Aapko jankar aascharya hoga lekin ek ghanta paidal chalne se kahi jayda
fayda 30 minute aerobics karne se milta hai.
Aerobics ko karne ke liye aapko jayda jaddojahat nahi karna padti hai.
Naahi kisi alag tarah ke vatavaran ki jarurat padti hai. Isse ghar ki kisi bhi
jagah mai kar sakte hai. Yeh cardio ke liye bhi ek accha vikalp hai. Aerobics
mai aapke pure sharir ka acche se vyayam ho jata hai. Agar aapko ghar se bhahar
jane ka time nahi milta hai, to aap ghar par hi music chalu karke ise kar sakte
hai.
Shodho ke anusar yeh bat bhi sabit hui hai ki aerobics se kai tarah ka ilaj
bhi kiya ja sakte hai. Jaise kai logo ko nind nahi aane ki samasya hoti hai.
Aerobics karne se iss samsya se nijat mil jati haui. Aur kai logo ke mansik
stihi ka bhi vikas hota hai.
Aisa dekha gaya hai ki jo log aerobics karte hai wo aam logo se jayda
energetic hote hai. Sathi hi aerobics
karte samay pehne jane wale kapde bhi aerobics ko karne mai ruchi badate hai.
You may also like:- Weight Gain Exercise? Vajan Badhane ke Tarike
Aerobics Bimariyo Se Suraksha De
Aerobic Exercise karnse dil aur phephdo ko majbuti milti hai. Aur
maspeshiya lachili banti hai. Aerobics sharir mai vasa aur cholesterol ko jamne
nahi deta hai. Sath hi isse blood pressure control mai rehta hai. Pratidin 150
minute vyayam karna aur uske sath thoda bahut vajan uthane se madhumeh ki
bimari ko thik karne mai sahayata milti hai.
Vajan Kam Karne mai Sahayak
Jitna adhik aap sharirik shrm karte hai utna adhik aapka sharir calorie burn
karta hai. Aap jitna adhik khane mai calorie lenge utna aapko kam bhi karna
padega. Yadi aap aesa nahi karte hai to aapka motapa aur badh jayega. Aerobics
se aap jaldi jaldi vajan ko kam sakte hai.
Aapka vajan agar aapke sharir ke mutabik jyada hai to usse aapko ucch
raktchaap, madhumeh jaisi bimari ho sakti hai. Agar aap rojana vyayam karenge
to aap ekdam fit rahenge. vyayam karne se aapko mansik pareshaniyo se bhi mukti
milti hai. Aerobics for Weight Loss bahut acchi hai.
Aerobics karne par aap apne bhojan par khud hi niyantran rakh payenge. Aur
aapne aapko swayam hi prerit kar sakte hai. Aerobics karne se aap fit rahenge
aur apne aap mai accha mehsus karenge. Isko karne se aapke andar aatmavishvas
bad jata hai. Jisse ise apni dinchrya mai shamil karne ki prerna milti hai.
Vyayam karne se charbi kam hone ke sath sath aapki manspeshiya bhi majbut
banati hai.
Aerobics mai Carrier Bhi Banaye
Aerobics karte karte agar aerobics aapke jivan ka aham hissa ban gaya hai.
Aur aapki ruchi bhi isme aa gai hai to aap isme apna carrier bhi bana sakte
hai. Yeh keval vyayam ke liye hi nahi hai. Apitu aapka carrier bhi bahut accha
ho sakta hai.
lekin dhyaan rakhe ki aap kisi aur ko sikhane se pehle iski har exercise ko
acche se jan le. Taki jis kisi ko bhi aap iski guideline de wo uske liye
faydemand sabit ho. Sath hi dhyan de ki unhe koi bimari to nahi hai. Aap
aerobics classes ko ghar par bhi khol sakti hai. Jisse aapko kahi bahar jane ki
jarurat nahi padegi.
Aerobic Exercise
Grbhavati Mahilao Ke Liye Bhi Faydemand Hai Aerobics
Maa banna kisi bhi mahila ke liye ek sukhd ehsaas ki tarah hota hai. Jab ek
aurat nai jindagi ko janam deti hai. Tab uske liye kai sari bato ka dhayan
rakha jata hai. Aerobics karne se garbhavati mahila aur uske hone wale baccha
dono swasth hote hai. Aaiye jante grabhvati mahila ke liye konsi aerobics karna
faydemand hota hai.
Swimming:- Swimming karna ek accha anubhav to hoga. Sath hi aap isse swasth
bhi rahenge. Swimming karte samay aapka sharir pani ke prati pratirodhak uttpan
karta hai. Aur garbhavastha ke douran swimming sabse accha aerobics hai. Khas
baat ye hai swimming karte samay aap kai tarah ke vayam ko kar sakte hai. Grabhvati mahila ko pani mai halke vayayam
karne ki slah di jati hai. Aur behtar hoga ki aap kisi bhi tarah ke vyayam se pehle
aap chikitsak se sampark kar le.
Walking:- Swimming ke bad walking garbhavati mahilao ke liye sabse accha
aerobics hai. Ghumna bhale hi sabse aasan hai, parntu dhyaan de ki ghumne jate
samay koi aacha juta kharid le. Jisse aapko chalte samay pareshani na aaye. Kai
bar akele ghumte samay bore ho jate hai. To aap kisi ko apne sath le ja sate
hai. Aur apni pati ko le jana to bahut hi accha vikalp hai. Garabhvati mahila
ko chahiye ki vo niymit waliking kare.
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Aerobics Ko Kaise Kiya Ja Sakta Hai?
Aerobics waise to aap kisi samay par bhi kar sakte hai. Parntu subah ke
samay karna bahut accha hota hai. Subah subah aerobics karne se aapka pura din
fresh bitta hai. 1 hafte mai kam se kam
3 bar aerobics vyayam jarur kare. Khaskar jab aapko vajan kam karna ho.
Aerobics karte samay dhyaan de ki aapki gati na to jyada tej ho na hi dhimi
ho. Aajkal naye naye aerobics vyayam ko sikhaya ja raha hai. Jisse apne lakshya
ke anusar chuna ja sakta hai.
Shuruvati dour mai ek aerobics exercise ka session 20 minute tak hona
chaiye. Tatha dheere dheere iska samay badakar kam se kam 60 minute tak le jana
chahiye. Aerobics karte samay aesi kriyaye karna chahiye. Jinko karne mai aapko
aanand milta ho. Jaise swimming, cycle chalana aadi. Boriyat dur karne ke liye
aajkal naye naye tarike sikhaye ja rahe hai.
Upar aapne jana Aerobics . Aerobics vyayam karte samay sharir ki acche se
stretching kar le. Taki aapko vyayam karte samay manspeshiyo mai jayda khichav
na aaye. Kisi bhi prakar ka sankraman hone par ya viral hone par vyayam na
kare. Aerobics karte samay yadi aapke sine mai dard ho to turant doctor ko
dikhaye.
Post updated on: Sep 5, 2021 3:20:01 AM
Bahut se log fitness ko lekar bahut conscious hote hai. Aese logo ko apne
sharir ko fit rakhne ke liye alag alag vyayam ko karna pasand hota hai. Isliye
bahut se log gym jate hai. Yadi aap gym jate hai to aapka trainer aapke sharir
ko shape mai rakhne ke sare vyayam karwa dega.
Lekin yadi aap ghar bhi perfect body shape pana chahte hai to pull ups
aapke liye bilkul sahi hai. Yeh aapke biceps aur v shape sabhi par karya karta
hai. Itna hi nahi jo log vajan ghatana chahte hai unke liye bhi yeh faydemand
hai.
Yadi aap vajan ghatane ke sare tarike apna chuke hai lekin fir bhi aapko
fayda nahi mil raha hai to Pullups ka sahara le. Yeh karne mai running jitna
aasan to nahi hai lekin isse aapko aascharyajanak fayde milte hai. Aaiye vistar
se jante hai Benefits of Pull Ups
Iske liye aapke yaha ek rod hang hona jaruri hai. Yadi aapke yaha rod nahi
hai to aapko ya to gym jana padega. Ya fir yadi aapke aaspaas koi park ho aur
waha latakne ki acchi jagah ho to aap waha bhi ise kar sakte hai.
Ise karne ke liye apne kandho ki choudai se thodi dur apne hatho ko rod par
rakhe. Sath hi apne pairo ko modkar piche ek dusre mai fasa le. Ab aapko rod ko
pakadkar apne sharir ko hatho par jor dete huye upar ki aur uthana hai. Aapko
sharir ko tab tak upar karna hai jab tak aapki thodi rod se naa chhu jaye.
Iss douran aap upar ruke nahi aur jaldi se niche aa jaye. Pull ups ko karte
wakt jab aapka sharir upar ki aur jata hai tab aapko andar ki aur saans lena
hai aur jab sharir niche ki aur aata hai tab aapko bahar ki aur saans chhodna
hai.
Iss exercise ko karte wakt aapko ek baat ka bahut acche se khayal rakhna
hai. Jab aap niche ki aur aate hai tab aapka sharir latka hua nahi hona chahiye
aur na hi aapki kohniya mudi hui hona chahiye. Kehne ka tatparya yeh ki sharir
ke niche aane ke baad aapko apni takat se apne vajan ko sambhale rakhna hai.
Yadi aap push ups ke baad pull ups karte hai to aapko aur bhi jyada
behtarin parinaam dekhne ko milte hai. Pull ups ko aap kai prakar se kar sakte
hai. Jaise ki hatheliyo ko bahar ki aur se pakadne ki bajay aap andar se ise
pakad sakte hai. Aese se ise karna behad aasan bhi ho jayega.
Pull ups karte wakt kuch log apne hatho ko keval 80 feesadi hi sidha hone
dete hai aur turant hi upar ki aur chale jate hai. Lekin yeh ise karne ka sahi
tarika nahi hai. Iske liye aapke body ke back kp puri tarah failne de, tabhi
aapka sharir sahi shape mai aa payega.
Iska matlab yeh bhi nahi hai ki jab aap niche aaye to puri tarah apne hatho
ko khole. Isse to aap latak jayenge aur upar jana aapke liye bhari ho jayega.
Iske liye apne hatho ko 95 fisadi tak kholna hai.
Jin bhi logo se pull ups bilkul bhi nahi karte banta hai we log pehle thodi
close grips ke sath chin up lagaye. Yeh aapko pull ups karne ke mukabale mai
thodi aasan lagegi. Chin up mai hath kam khule hote hai aur hatheliya aapki aur
hoti hai.
1. Pull Ups Benefits
Pull Ups Exercise ek bahut hi suvidhajanak vyayam hai. Aap iss vyayam ko
kahi bhi kar sakte hai. Iske liye aapko yadi kuch chahiye to wo hai bus ek bar.
Lekin ha iske liye aap garbage mai pade metal pole ka istemal naa kare.
Aap bahar se pull up karne wala bar kharid sakte hai. Isse aapko safety ko
lekar koi issue nahi rahega.
Alag Alag Tarike Se Kar Sakte Hai
Pullups karne ka ek sabse bada fayda yeh bhi hai ki aap ise alag alag
tariko se kar sakte hai.
Ise alag alag tarike se karne ke liye aapko kisi tarah ke equipments ki
jarurat nahi hai. Bus aapko apni grip ko badalna hoga.
Aap close grip pullups , and reverse grip pull-ups dono kar sakte hai.
Yadi aapko apni peeth par target karna hai to aap grip pull-ups kare. Wahi
yadi aapko apne biceps par kaam karna hai to aap reverse grip pull-ups
(chin-up)s par kaam kare.
Anya Fayde Inhe Bhi Janiye:-
Rojana pull-ups karne se aapki workout karni ki intensity badhti hai.
Aap yadi iske 12 grips aasani se maar lete hai to aap apni intensity ko aur
badhane ke liye apne pairo mao weight laga sakte hai.
Yadi aap bodybuilder hai to aapki grip strength acchi hona chahiye.
Pull-ups aapki takat ko badhane ke liye ek perfect exercise hai.
Yeh ek Body Weight Exercise hai. Yeh aapke shoulder aur stomach par kaam
karti hai.
Upar aapne jana Benefits of Pull Ups in Hindi. Aap bhi pullup bar ko kharid
kar ise suvidhajanak jagah par lagakar aasani se pullup kar sakte hai. Jis
tarah squats aapke pairo par kaam karta hai usi tarah Pullup aapke upari sharir
par karya karta hai.
Post updated on: Sep 5, 2021 3:15:29 AM
Omega-3s are nutrients you get from food (or supplements) that help build and maintain a healthy body. They?re key to the structure of every cell wall you have. They?re also an energy source and help keep your heart, lungs, blood vessels, and immune system working the way they should.
DHA levels are especially high in retina (eye), brain, and sperm cells.
ADHD. Some studies show that fish oil can reduce the symptoms of ADHD in some children and improve their mental skills, like thinking, remembering, and learning. But more research is needed in this area, and omega-3 supplements should not be used as a primary treatment.
Alzheimer's disease and dementia. Some research suggests that omega-3s may help protect against Alzheimer's disease and dementia, and have a positive effect on gradual memory loss linked to aging. But that's not certain yet.
Not only does your body need these fatty acids to function, they also deliver some big health benefits.
Health Benefits of Omega-3 Fatty Acids
Rheumatoid arthritis. Fish oil supplements (EPA+DHA) may curb stiffness and joint pain. Omega-3 supplements also seem to boost the effectiveness of anti-inflammatory drugs.
Depression. Some researchers have found that cultures that eat foods with high levels of omega-3s have lower levels of depression. The effects of fish oil supplements on depression has been mixed. More research is needed to see if it can make a difference.
Baby development. DHA appears to be important for visual and neurological development in infants.
Asthma. A diet high in omega-3s lowers inflammation, a key component in asthma. But more studies are needed to show if fish oil supplements improve lung function or cut the amount of medication a person needs to control the condition.
ADHD. Some studies show that fish oil can reduce the symptoms of ADHD in some children and improve their mental skills, like thinking, remembering, and learning. But more research is needed in this area, and omega-3 supplements should not be used as a primary treatment.
Alzheimer's disease and dementia. Some research suggests that omega-3s may help protect against Alzheimer's disease and dementia, and have a positive effect on gradual memory loss linked to aging. But that's not certain yet.
Post updated on: Aug 27, 2021 1:22:41 PM
What is Parkinson's Disease
Parkinson's disease is a brain disorder that gets worse over time. It causes nerve cells in a part of the brain called the substantia nigra to die. This part of the brain is important for controlling movement. That's why people with Parkinson's often shake or show other abnormal movements. Treatments can help with symptoms, but there is no way to slow or reverse the condition.
What Causes It?
No one knows exactly why a person gets Parkinson's. It's probably due to a mix of things, including genes and exposure to certain toxins. There's usually no way to predict who will get it or why. It's rare for Parkinson's to run in families. Most of the time, it seems to happen randomly.
Who Gets Parkinson's?
Both men and women get Parkinson's disease. It's 1.5 times more common in men. It's also more common in older people. Only about 4 out of every 100 cases happen in people under age 50. Each year, about 60,000 people in the U.S. find out they have Parkinson's. About 1 million people in the U.S. and 10 million around the world have this condition.
Symptoms
The four main symptoms of Parkinson's are related to movement:
The four main symptoms of Parkinson's are related to movement:
- Tremors or shaking of hands, arms, legs, jaw, or head
- Stiffness of arms, legs, and trunk
- Slowed movement
- Trouble with balance and coordination
Post updated on: Aug 25, 2021 8:42:41 AM
Depression, also known as major depressive disorder, is a mood sordor that makes you feel constant sadness or lack of interest in life.
Most people feel sad or depressed at times. It's a normal reaction to loss or life's challenges. But when intense sadness -- including feeling helpless, hopeless, and worthless -- lasts for many days to weeks and keeps you from living your life, it may be something more than sadness. You could have clinical depression, a treatable medical condition.
Is Depression Curable?
There's no cure for depression. Your symptoms may go away over time, but the condition won't.
But with care and treatment, you can reach remission and enjoy a long, healthy life.
Depression Symptoms
According to the DSM-5, a manual doctors use to diagnose mental disorders, you have depression when you have five or more of these symptoms for at least 2 weeks:
- Your mood is depressed for most of the day, especially in the morning.
- You feel tired or have a lack of energy almost every day.
- You feel worthless or guilty almost every day.
- You feel hopeless or pessimistic.
- You have a hard time focusing, remembering details, and making decisions.
- You can't sleep, or you sleep too much, almost every day.
- You have almost no interest or pleasure in many activities nearly every day.
- You think often about death or suicide (not just a fear of death).
- You feel restless or slowed down.
- You've lost or gained weight.
You may also:
- Feel cranky and restless
- Lose pleasure in life
- Overeat or stop feeling hungry
- Have aches, pains, headaches, cramps, or digestive problems that don?t go away or get better with treatment
- Have sad, anxious, or "empty" feelings
While these symptoms are common, not everyone with depression will have the same ones. How severe they are, how often they happen, and how long they last can vary. Your symptoms may also happen in patterns. For example, depression may come with a change in seasons (a condition formerly called seasonal effective disorder).
It's not uncommon for people with depression to have physical signs of the condition. They may include joint pain, back pain, digestive problems, sleep trouble, and appetite changes. You might have slowed speech and movements, too. The reason is that brain chemicals linked to depression, specifically serotonin and norepinephrine, play a role in both mood and pain.
Depression in Children
Childhood Depression is different from the normal "blues" and everyday emotions most kids feel. If your child is sad, it doesn?t necessarily mean they have depression. It's when the sadness stays day after day that depression may be an issue. Disruptive behavior that interferes with normal social activities, interests, schoolwork, or family life may also be signs of a problem.
Depression in Teens
A lot of teens feel unhappy or moody. When the sadness lasts for more than 2 weeks and a teen has other symptoms of depression, there may be a problem. Watch for withdrawal from friends and family, a drop in their performance at school, or use of alcohol or drugs. Talk to your doctor and find out if your teen may be depressed. There is effective treatment that can help teens move beyond depression as they grow older.
Depression Causes
Doctors haven?t pinpointed exact causes for depression. They think it may be a combination of things, including:
- Brain structure. People with depression seem to have physical differences in their brains from people who don?t have depression.
- Brain chemistry. Chemicals in your brain called neurotransmitters play a part in your mood. When you have depression, it could be because these chemicals aren?t working the way they should.
- Hormones. Your hormone levels change because of pregnancy, postpartum issues, thyroid problem, menopause, or other reasons. That can set off depression symptoms.
- Genetics. Researchers haven?t yet found the genes that might be responsible for depression, but you?re more likely to have depression if someone you?re related to has it.
Types of Depression
There are a few types of depressive disorders that doctors can diagnose, including:
- Unipolar major depression
- Persistent depressive disorder, also called dysthymia , when depression lasts for at least 2 years
- Disruptive mood dysregulation disorder, when children and teens get very cranky, angry, and often have intense outbursts that are more severe than a child?s typical reaction
- Premenstrual dysphoric disorder, when a woman has severe mood problems before her period, more intense than typical premenstrual syndrome (PMS)
- Substance-induced mood disorder (SIMD), when symptoms happen while you?re taking a drug or drinking alcohol or after you stop
- Depressive disorder due to another medical condition
- Other depressive disorders, such as minor depression
Your depression may have other specific features, such as:
- Anxious distress. You worry a lot about things that might happen or about losing control.
- Mixed features. You have both depression and mania -- periods of high energy, talking too much, and high self-esteem.
- Atypical features. You can feel good after happy events, but you also feel hungrier, need to sleep a lot, and are sensitive to rejection.
- Psychotic features. You believe things that aren't true, or see and hear things that aren't there.
- Catatonia. You can?t move your body normally. You might be still and unresponsive or have uncontrollable movements.
- Peripartum depression. Your symptoms begin during pregnancy or after giving birth.
- Seasonal pattern. Your symptoms get worse with changes in the seasons, especially the colder, darker months.
What Illnesses Happen With Depression?
It's common for people to have other medical or mental health problems along with depression, such as anxiety, obsessives compulsive disorder panic disorder, phobias, substance use disorders, and eating disorder. If you or a loved one has symptoms of depression or another mental illness, talk to your doctor. Treatments can help.
Depression and Suicide
Anybody who thinks or talks about harming themselves should be taken very seriously. Do not hesitate to call your local suicide hotline right away. Call 800-SUICIDE (800-784-2433); 800-273-TALK (800-273-8255); or, for the hotline for the hearing impaired, call 800-799-4889. Or contact a mental health professional ASAP. If you intend or have a plan to commit suicide, go to the emergency room right away.
Warning signs include:
- Thoughts or talk of death or suicide
- Thoughts or talk of self-harm or harm to others
- Aggressive behavior or impulsiveness
Watch for these signs if your child or teen starts taking antidepressants. In some cases, people under 25 may have more suicidal thoughts in the first weeks of taking these medicines or when they take a different dose.
Depression Diagnosis
In order to diagnose you with depression, your doctor will use several methods, including:
- Physical exam. Your doctor will check on your overall health to see if you might be dealing with another condition.
- Lab tests. For example, you may have blood work done to check on certain hormone levels.
- Psychiatric evaluation. Your doctor will be interested in your mental health and will ask about your thoughts, feelings, and behavior patterns. You may also fill out a questionnaire.
Depression Treatment
If you or someone you know has symptoms of the condition, talk to your doctor. They can evaluate you and offer you treatment or refer you to a mental health professional.
The type of treatment your doctor recommends will depend on your symptoms and how severe they are. You may need one or more of the following:
- Medication. Antidepressant medications (in combination with therapy) are effective for most people with depression. There are many types of antidepressants. You may have to try several kinds before you find the one that works best for you. You may need a combination of two. Or your doctor may also prescribe another type of medication to help your antidepressant work best, such as a mood stabilizer, anti-psychotic, anti-anxiety meditation, or stimulant medication.
- Psychotherapy. Talking to a mental health professional on a regular basis about your depression and other issues can help treat the symptoms. Different methods are available, including cognitive behavioral therapy (CBT) and talk therapy.
- Hospital or residential treatment. If your depression is severe enough that you?re having trouble taking care of yourself or may harm yourself or others, you may need psychiatric treatment in a hospital or residential facility.
- Electroconvulsive therapy (ECT). This brain stimulation therapy passes electric currents through your brain to help your neurotransmitters work better. Typically, you wouldn't use this therapy unless antidepressants aren't working or you can?t take them for other health reasons.
- Transcranial magnetic stimulation (TMS). Your doctor typically suggests this only after antidepressants haven?t worked. This treatment uses a coil to send magnetic pulses through your brain to help stimulate nerve cells that regulate mood.
Post updated on: Aug 23, 2021 6:36:03 PM
Bone density tests (also called bone mineral density tests or BMD tests) check how strong your bones are by measuring a small part of one or a few of them. The results can help your d
octor know how you can treat or prevent bone loss and fractures.
octor know how you can treat or prevent bone loss and fractures.
Who Should Have a Bone Density Test?
According to the U.S. Preventive Services Task Force, BMD tests are recommended for:
- All women ages 65 and older
- Younger women with a higher-than-normal chance of fracture for their age
Types of Bone Density Tests
Two types of machines can measure bone density. Central machines test it in the hip, spine, and total body. Doctors can use them to do different types of bone density tests:
- DXA (dual-energy X-ray absorptiometry) measures the ,spine, hip, or total body. Doctors consider this test the most useful and reliable for checking bone density.
- QCT (quantitative computed tomography) usually measures the spine, but it can test other sites, too. This test is not often used because it is costly and delivers a lot of radiation.
Peripheral machines check the finger, wrist, kneecap, shinbone, and heel. These machines are a good option when DXA scans aren?t available. But DXA scans are still the best choice for screening. Peripheral screening tests include:
- pDXA (peripheral dual-energy X-ray absorptiometry) measures the wrist or heel.
- QUS (quantitative ultrasound) uses sound waves to measure density, usually at the heel.
- pQCT (peripheral quantitative computed tomography) measures the wrist.
Once you get your test results, you and your doctor can decide what to do next.
Does Insurance Cover It?
Many health insurance companies will cover a bone density test, as does Medicare. But you need to check ahead of time to see if your plan does or if Medicare will pay for your testing.
Most health insurers will pay for the test if you have one or more things that raise the chances you have osteoporosis, such as:
- A fracture
- You?ve been through menopause
- You?re not taking estrogen at menopause
- You take medications that cause bone thinning
Medicare covers bone density testing for specific types of people ages 65 and older:
- Women whose doctors say they?re low in estrogen and at risk for osteoporosis
- People whose X-rays show they may have osteoporosis, osteopenia, or spine fractures
- People who take steroid medicines or plan to start
- People with primary hyperparathyroidism
- People being monitored to see if their osteoporosis drugs are working
Medicare will pay for a bone density test every 2 years.
Do I Need Bone Density Tests to Check on My Osteoporosis Treatment?
Doctors disagree on this question. The American Medical Association and other major medical groups say that most people don?t need repeat testing to check on their osteoporosis treatment in the first 3 years. Bone density changes so slowly with treatment that the differences may be smaller than the measurement error of the machine. These experts say that repeat scans can?t tell the difference between a real increase in bone density due to treatment and a change in how the machine measures it.
But other groups like the National Osteoporosis Foundation still support repeat testing every 1 to 2 years during treatment. Ask your doctor what is right for you.
Most doctors call for repeating the test in 2 years after you have it the first time. They do it to see if your medication is working.
Post updated on: Aug 20, 2021 3:08:40 PM
Going on a high-protein diet may help you ta may help you tame your me your hunger, which could help you lose weight.
You can try it by adding some extra protein to your meals. Give yourself a week, boosting protein gradually.
Remember, calories still count. You'll want to make good choices when you pick your protein.
If you plan to add a lot of protein to your diet, or if you have liver or kidney disease, check with your doctor first.
The Best Protein Sources
Choose protein sources that are nutrient-rich and lower in saturated fat and calories, such as:
Choose protein sources that are nutrient-rich and lower in saturated fat and calories, such as:
- Lean meats
- Seafood
- Beans
- Soy
- Low-fat dairy
- Eggs
- Nuts and seeds
It's a good idea to change up your protein foods. For instance, you could have salmon or other fish that's rich in omega-3s, beans or lentils that give you fiber as well as protein, walnuts on your salad, or almonds on your oatmeal.
How much protein are you getting? Here's how many grams of protein are in these foods:
1/2 cup low-fat cottage cheese: 12.4g
3 ounces tofu, firm: 9g
1/2 cup cooked lentils: 9g
2 tablespoons natural-style peanut butter (7g) or almond butter (6.7g)
3 oz skinless chicken breast: 26g
3 oz fish fillet (depending on type of fish): 17-20g
1 ounce provolone cheese: 7g
1/2 cup cooked kidney beans: 7.7g
1 ounce almonds: 6g
1 large egg: 6g
4 ounces low-fat plain yogurt: 6g
4 ounces soy milk: 3.5g
4 ounces low-fat milk: 4g
Carbs and Fats
While you're adding protein to your diet, you should also stock up on "smart carbs" such as:- Fruits
- Vegetables
- Whole grains
- Beans and legumes (both also have protein)
- Low-fat milk and yogurt (both have protein)
Also try healthy fats such as: - Nuts and natural-style nut butters
- Seeds
- Olives
- Extra virgin olive oil and canola oil
- Fish
- Avocados
To help manage your appetite, it also helps to split your daily calories into four or five smaller meals or snacks.
Post updated on: Aug 18, 2021 1:54:03 AM
Music can transport us back in time ... to summers at the beach, to high school football games, to a first kiss. A good play or a painting can take us somewhere else, too. And it seems these art forms can take some patients away from their pain.
Music is a powerful tool that can help patients relax deeply, Hanser says.In clinical settings, the use of music is quite diverse, says Boston music therapist Suzanne Hanser, EdD. For example, music can be used as an "auditory focal point" to help moms-to-be concentrate on their breathing during labor and delivery, much in the way that the Lamaze technique uses a visual focal point.
Hospitals across the country are relying increasingly on music therapists to work with patients -- from expectant mothers to terminal cancer patients. Hanser visits oncology patients at the Zakim Center for Integrated Therapies at the Dana-Farber Cancer Institute in Boston. Bringing her 12-string lyre, alto recorder, and keyboard to a patient's bedside, Hanser begins playing and watches for which melodies and which instruments have an effect on the patient.
Many of the patients she sees are too ill even to speak. But Hanser, chair of the department of music therapy at the Berklee College of Music in Boston, can tell when the music is working. The best feedback she can get? "To see the patient simply fall asleep."
"For patients who are deeply agitated or in severe pain, music provides a tremendous distraction," Hanser says. "It's a powerful tool that can put them in a different frame of mind and help them relax deeply."
Play It Again, Doc
Hanser has also published two studies showing that music therapy is a valuable tool in easing the emotional difficulties of elderly people.
Music therapy is one of the most frequently studied of the arts therapies, and research has been conducted on its effect on children, including on premature infants; on preoperative patients; and on brain-injured individuals, to name just a few groups.
Other Healing Arts
Art therapy began in the 1940s and '50s in the U.S. and England, and has long been used as an effective treatment for people with developmental, medical, educational, social, or psychological difficulties. Patients may be asked to create images of their dreams or to work out their feelings about certain situations (like a loved one's death).
Drama therapy, newer than either art or music therapy (some say the use of music as a healing technique can be traced to the 18th century), is also being used more in clinical settings. Don Laffoon, a registered drama therapist and chair of the National Coalition of Arts Therapies Association, immediate past president of the National Association for Drama Therapy, and director of Stop-Gap, a drama therapy group, uses drama therapy as a prevention and intervention tool.
His company takes approximately 20 plays on tour throughout Southern California, helping people learn about and deal with such subjects as HIV/AIDS, date rape, and alcoholism.
"These are tough subjects to communicate," he says. Laffoon and his troupe have performed in hospitals for children with cancer, in shelters for battered women and children, in adult day care centers, and in alcohol and drug dependency programs.
Nothing is scripted in Laffoon's work. "We do a lot of role playing and role reversal," he says. Most of the clients he sees tend to feel powerless over their lives. "We try to empower them. Kids get to act as doctors or nurses, for example, while the therapists act as the kids."
"We never put a victim in a victim's role," he adds. "We want them to have a respite. And we also want them to feel what it's like to have some power."
When people have the opportunity to act in another role, they are often able to see their situation in a new light. "When they themselves are playing the teacher, they hear themselves saying what they may tune out when it comes from someone else," says Laffoon.
Unlike music therapy, not much research has been done in the area of drama therapy and Laffoon agrees that more studies and more "real data" are needed. Still, he says, "I've seen amazing things happen."
Post updated on: Aug 17, 2021 1:30:57 AM
श्वास तब शुरू होती है जब आप अपनी नाक या मुंह में हवा भरते हैं। यह आपके गले के पीछे और आपके श्वासनली में जाता है, जिसे ब्रोन्कियल ट्यूब नामक वायु मार्ग में विभाजित किया जाता है।
आपके फेफड़ों को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए, इन वायुमार्गों को खुला होना चाहिए। उन्हें सूजन या सूजन और अतिरिक्त बलगम से मुक्त होना चाहिए।
जैसे ही ब्रोन्कियल ट्यूब आपके फेफड़ों से होकर गुजरती है, वे ब्रोंचीओल्स नामक छोटे वायु मार्ग में विभाजित हो जाती हैं। ब्रोन्किओल्स छोटे गुब्बारे जैसी हवा की थैली में समाप्त होते हैं जिन्हें एल्वियोली कहा जाता है। आपके शरीर में लगभग 600 मिलियन एल्वियोली हैं।
एल्वियोली केशिकाओं नामक छोटी रक्त वाहिकाओं के जाल से घिरी होती है। यहां, साँस की हवा से ऑक्सीजन आपके रक्त में जाती है।
ऑक्सीजन को अवशोषित करने के बाद, रक्त आपके हृदय में जाता है। तब आपका दिल इसे आपके शरीर के माध्यम से आपके ऊतकों और अंगों की कोशिकाओं में पंप करता है।
जैसे ही कोशिकाएं ऑक्सीजन का उपयोग करती हैं, वे कार्बन डाइऑक्साइड बनाती हैं जो आपके रक्त में जाती हैं। आपका रक्त तब कार्बन डाइऑक्साइड को आपके फेफड़ों में वापस ले जाता है, जहाँ आपके साँस छोड़ने पर यह आपके शरीर से निकल जाता है।
साँस लेना और साँस छोड़ना
साँस लेना और छोड़ना यह है कि आपका शरीर कैसे ऑक्सीजन लाता है और कार्बन डाइऑक्साइड से छुटकारा पाता है। प्रक्रिया को आपके फेफड़ों के नीचे एक बड़े गुंबद के आकार की मांसपेशी से मदद मिलती है जिसे डायफ्राम कहा जाता है।
जब आप सांस लेते हैं, तो आपका डायाफ्राम नीचे की ओर खिंचता है, जिससे एक वैक्यूम बनता है जिससे आपके फेफड़ों में हवा का प्रवाह होता है।
साँस छोड़ने के साथ विपरीत होता है: आपका डायाफ्राम ऊपर की ओर आराम करता है, आपके फेफड़ों पर जोर देता है, जिससे वे डिफ्लेट हो जाते हैं।
श्वसन प्रणाली हवा को कैसे साफ करती है?
आपके श्वसन तंत्र में हवा में हानिकारक चीजों को आपके फेफड़ों में प्रवेश करने से रोकने के लिए अंतर्निहित तरीके हैं।
आपकी नाक के बाल बड़े कणों को छानने में मदद करते हैं। छोटे बाल, जिन्हें सिलिया कहा जाता है, आपके वायु मार्ग के साथ-साथ मार्ग को साफ रखने के लिए व्यापक गति से चलते हैं। लेकिन अगर आप सिगरेट के धुएं जैसी हानिकारक चीजों में सांस लेते हैं, तो सिलिया काम करना बंद कर सकती है। इससे ब्रोंकाइटिस जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
आपके श्वासनली और ब्रोन्कियल नलियों में कोशिकाएं बलगम बनाती हैं जो वायु मार्ग को नम रखता है और धूल, बैक्टीरिया और वायरस, और एलर्जी पैदा करने वाली चीजों को आपके फेफड़ों से बाहर रखने में मदद करता है।
श्वसन प्रणाली के रोग
श्वसन प्रणाली के सामान्य रोगों में शामिल हैं:
दमा। आपके वायुमार्ग संकीर्ण हैं और बहुत अधिक बलगम बनाते हैं।
ब्रोन्किइक्टेसिस। सूजन और संक्रमण आपकी ब्रोन्कियल दीवारों को मोटा बनाते हैं।
क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD)। यह दीर्घकालिक स्थिति समय के साथ खराब होती जाती है। इसमें ब्रोंकाइटिस और वातस्फीति शामिल हैं।
न्यूमोनिया। एक संक्रमण आपके एल्वियोली में सूजन का कारण बनता है। वे द्रव या मवाद से भर सकते हैं।
क्षय रोग। एक जीवाणु इस खतरनाक संक्रमण का कारण बनता है। यह आमतौर पर आपके फेफड़ों को प्रभावित करता है लेकिन इसमें आपकी किडनी, रीढ़ या मस्तिष्क भी शामिल हो सकता है।
फेफड़े का कैंसर। आपके फेफड़ों में कोशिकाएं बदल जाती हैं और ट्यूमर में विकसित हो जाती हैं। यह अक्सर धूम्रपान या अन्य रसायनों के कारण होता है जिसमें आपने सांस ली है।
सिस्टिक फाइब्रोसिस। यह रोग आपके जीन में एक समस्या के कारण होता है और समय के साथ खराब हो जाता है। यह फेफड़ों के संक्रमण का कारण बनता है जो दूर नहीं होता है।
फुफ्फुस बहाव। आपके फेफड़ों और छाती को लाइन करने वाले ऊतकों के बीच बहुत अधिक तरल पदार्थ जमा हो जाता है।
आइडियोपैथिक पलमोनेरी फ़ाइब्रोसिस। आपके फेफड़े के ऊतक जख्मी हो जाते हैं और उस तरह से काम नहीं कर पाते जिस तरह से करना चाहिए।
सारकॉइडोसिस। आपके फेफड़ों और लिम्फ नोड्स में अक्सर ग्रैनुलोमा रूप नामक सूजन कोशिकाओं के छोटे समूह होते हैं।
Post updated on: Aug 16, 2021 2:15:05 AM
जीवन तनावपूर्ण है और कभी-कभी तनाव आप पर हावी हो सकता है, लेकिन आराम करने के तरीके सीखने के लिए आप कुछ कदम उठा सकते हैं।
किराने की खरीदारी या ट्रैफिक जाम जैसी सामान्य रोजमर्रा की गतिविधियां आपको तनाव में डाल सकती हैं। आपको 24/7 दुनिया में डिजिटल उपकरणों और स्ट्रीमिंग सेवाओं से अनप्लग करना मुश्किल हो सकता है। काम की समय सीमा, बच्चों को संभालना या किसी मुश्किल रिश्ते से निपटना आपको निराश कर सकता है।
कोरोनावायरस महामारी, एक पुरानी बीमारी, या किसी बुजुर्ग रिश्तेदार की देखभाल करना एक तनाव हो सकता है।
"तनाव वास्तव में है कि आपका शरीर और मस्तिष्क चुनौतियों का जवाब कैसे देते हैं, जैसे कि काम पर दबाव, [हैंडलिंग] महामारी, बढ़ती पारिवारिक जिम्मेदारी, अन्य नकारात्मक अनुभव जो तनाव को प्रभावित और पैदा कर सकते हैं," डेविड शर्टलेफ, पीएचडी, उप निदेशक कहते हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के पूरक और एकीकृत स्वास्थ्य के लिए राष्ट्रीय केंद्र।
COVID-19 महामारी ने तनाव के आसपास की चिंताओं को उजागर किया है।
"हम पिछले वर्ष की तुलना में COVID स्थिति को देखते हुए बहुत अधिक चिंता और अवसाद देख रहे हैं," शर्टलेफ कहते हैं।
तनाव क्या है?
जब आप अभिभूत महसूस करते हैं या किसी स्थिति को संभाल नहीं पाते हैं, तो आपका शरीर खराब तरीके से प्रतिक्रिया दे सकता है। तथाकथित "लड़ाई या उड़ान" प्रतिक्रिया आपको दौड़ने के लिए तैयार करती है, और इससे तनाव पैदा होता है।
रूजवेल्ट विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान के प्रोफेसर, पीएचडी, विश्वविद्यालय के माइंडफुल इनिशिएटिव के संस्थापक निदेशक, और विश्राम पर पुस्तकों के एक विपुल लेखक, जोनाथन सी। स्मिथ कहते हैं, "तनाव की छोटी अवधि का अनुभव करना ठीक है, वास्तव में, यह स्वस्थ भी है।"।
"तनाव मुक्त जीवन जीना अस्वस्थ और खतरनाक है। हमें जिंदा रखने के लिए थोड़ी चुनौती की जरूरत है, ?स्मिथ कहते हैं।
लेकिन ज्यादा तनाव आपके लिए ठीक नहीं है। उदाहरण के लिए, महामारी के दौरान आपने जिस अलगाव का सामना किया है, जैसे कुछ स्थितियां, तनाव का कारण बन सकती हैं, जो बदले में स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकती हैं।
वैश्विक महामारी जैसी किसी चीज़ से अभिभूत महसूस करना सामान्य है, लेकिन आराम करने के तरीके खोजना भी महत्वपूर्ण है, शर्टलेफ़ कहते हैं। वह सप्ताह में लगभग तीन बार योग का अभ्यास करते हैं और चिंताओं को नियंत्रण में रखने में मदद के लिए रोजाना ट्रेडमिल का उपयोग करते हैं।
"समय के साथ तनाव वास्तव में हमारे शरीर और हमारे दिमाग को प्रभावित कर सकता है और वास्तव में विनाशकारी पुरानी स्थितियों जैसे चिंता और अवसाद को जन्म दे सकता है," वे कहते हैं
विश्राम तकनीकों के प्रकार
हालांकि, विश्राम प्रथाओं की एक पूरी श्रृंखला आपको तनाव कम करने और तनाव कम करने में मदद कर सकती है।
"कोई एक जूता नहीं है जो सभी को फिट बैठता है," स्मिथ कहते हैं। वह वैज्ञानिक अवलोकन और अनुभव के आधार पर "पांच या छह" दृष्टिकोणों की ओर इशारा करते हैं जो वास्तव में तनाव कम करने के लिए काम करते हैं। अन्य उपचार भी हैं, जो आपको मददगार लग सकते हैं। आप एक समय में एक कर सकते हैं या आप कुछ एक साथ अभ्यास कर सकते हैं।
श्वास व्यायाम
यह सबसे आसान तनाव कम करने की प्रथाओं में से एक है क्योंकि आप केवल अपनी सांस लेने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
शांत जगह पर बैठें या लेटें, अपनी नाक से गहरी सांस लें और बेहतर महसूस होने पर अपने मुंह या अपनी नाक से धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
टेक्सास मनोचिकित्सक ग्रेगरी स्कॉट ब्राउन, एमडी, 4-7-8 दृष्टिकोण का सुझाव देते हैं। 4 सेकंड के लिए सांस लें, 7 सेकंड के लिए अपनी सांस रोकें, फिर 8 सेकंड के लिए सांस छोड़ें।
वे कहते हैं कि गहरी सांस लेने से आपको शांत और आराम करने में मदद मिल सकती है।
"जब मैं मरीजों से बात कर रहा होता हूं, तो मैं आमतौर पर सांस के काम से शुरू करता हूं, क्योंकि फिर से, हम सभी हर दिन सांस लेते हैं, लेकिन हम में से बहुत से लोग यह नहीं जानते हैं कि सांस का काम, आप जानते हैं, एक विशिष्ट तरीके से किया जाता है, दवा है, ब्राउन कहते हैं, जो ऑस्टिन, TX में सेंटर फॉर ग्रीन साइकियाट्री के संस्थापक और निदेशक हैं।
Post updated on: Aug 14, 2021 1:57:53 AM
आपको कितने घंटे की नींद चाहिए?
एक व्यक्ति को कितनी नींद की जरूरत होती है यह उसकी उम्र सहित कई चीजों पर निर्भर करता है। सामान्य रूप में:
शिशुओं (उम्र 0-3 महीने) को दिन में 14-17 घंटे की आवश्यकता होती है।
शिशुओं (उम्र 4-11 महीने) को दिन में 12-15 घंटे की आवश्यकता होती है
टॉडलर्स (उम्र 1-2 वर्ष) को दिन में लगभग 11-14 घंटे की आवश्यकता होती है।
पूर्वस्कूली बच्चों (उम्र 3-5) को दिन में 10-13 घंटे की आवश्यकता होती है।
स्कूली उम्र के बच्चों (6-13 वर्ष की आयु) को दिन में 9-11 घंटे की आवश्यकता होती है।
किशोरों (14-17 वर्ष की आयु) को प्रत्येक दिन लगभग 8-10 घंटे की आवश्यकता होती है।
अधिकांश वयस्कों को 7 से 9 घंटे की आवश्यकता होती है, हालांकि कुछ लोगों को प्रतिदिन कम से कम 6 घंटे या 10 घंटे तक की नींद की आवश्यकता हो सकती है।
वृद्ध वयस्कों (65 वर्ष और अधिक आयु) को प्रत्येक दिन 7-8 घंटे की नींद की आवश्यकता होती है।
गर्भावस्था के पहले 3 महीनों में महिलाओं को अक्सर सामान्य से कई घंटे अधिक नींद की आवश्यकता होती है।
लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यदि आप दिन के दौरान, उबाऊ गतिविधियों के दौरान भी नींद महसूस करते हैं, तो आपने पर्याप्त नींद नहीं ली है।
नींद की कमी और नींद का कर्ज
यदि किसी व्यक्ति को पिछले दिनों में नींद नहीं आती है तो उसकी नींद की मात्रा बढ़ जाती है। यदि आपके पास पर्याप्त नहीं है, तो आपके पास "नींद का कर्ज" होगा, जो कि बैंक में ओवरड्रॉ होने जैसा है। आखिरकार, आपका शरीर मांग करेगा कि आप कर्ज चुकाना शुरू करें।
हम वास्तव में जरूरत से कम नींद लेने के लिए अनुकूल नहीं होते हैं। हमें एक ऐसे शेड्यूल की आदत हो सकती है जो हमें पर्याप्त नींद लेने से रोकता है, लेकिन हमारा निर्णय, प्रतिक्रिया समय और अन्य कार्य अभी भी बंद रहेंगे।
आपको REM नींद और गहरी नींद की आवश्यकता क्यों है
आपका मस्तिष्क कितना सक्रिय है, इसके आधार पर नींद के चार चरण होते हैं। पहले दो प्रकाश हैं।
चरण तीन "गहरी नींद" है, जब आपके मस्तिष्क की तरंगें धीमी हो जाती हैं और आपके लिए जागना कठिन होता है। इन अवधियों के दौरान, आपका शरीर ऊतकों की मरम्मत करता है, वृद्धि और विकास पर काम करता है, आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाता है और अगले दिन के लिए ऊर्जा का निर्माण करता है।
रैपिड आई मूवमेंट (आरईएम) स्लीप, या स्टेज आर, आमतौर पर आपके सो जाने के लगभग 90 मिनट बाद शुरू होता है। मस्तिष्क की गतिविधि बढ़ जाती है, आपकी आंखें तेजी से घूमती हैं, और आपकी नाड़ी, रक्तचाप और सांस लेने की गति तेज हो जाती है। यह तब भी होता है जब आप अपने ज्यादातर सपने देखते हैं।
REM नींद सीखने और याददाश्त के लिए महत्वपूर्ण है। यह तब होता है जब आपका मस्तिष्क दिन के दौरान आपके द्वारा ली गई जानकारी को संभालता है और इसे आपकी दीर्घकालिक स्मृति में संग्रहीत करता है।
नींद की कमी के लक्षण
सामान्य लक्षण जो बताते हैं कि आपने पर्याप्त नींद नहीं ली है, उनमें शामिल हैं:
दिन के दौरान नींद आना या सो जाना, विशेष रूप से शांत गतिविधियों के दौरान जैसे मूवी थियेटर में बैठना या गाड़ी चलाना
लेटने के 5 मिनट के भीतर सो जाना
जागने के घंटों के दौरान कम समय की नींद (सूक्ष्म नींद)
हर दिन समय पर जागने के लिए अलार्म घड़ी की आवश्यकता होती है
जब आप सुबह या पूरे दिन उठते हैं तो घबराहट महसूस करना (नींद की जड़ता)
हर दिन बिस्तर से उठने में मुश्किल होती है
मनोदशा में बदलाव
विस्मृति
किसी कार्य पर ध्यान केंद्रित करने में परेशानी
उन दिनों में अधिक सोना जब आपको एक निश्चित समय पर उठना नहीं पड़ता
कैसे पता करें कि आप पर्याप्त नींद ले रहे हैं
यह पता लगाने के लिए कि क्या आप रात में पर्याप्त नींद ले रहे हैं, अपने आप से पूछें:
क्या आप अपने वर्तमान सोने के कार्यक्रम में स्वस्थ और खुश महसूस करते हैं?
क्या आपको लगता है कि आपको उत्पादक होने के लिए पर्याप्त नींद आती है?
क्या आपको अपने दिन के बारे में बताते समय कभी नींद आती है?
क्या आप दिन भर के लिए कैफीन पर निर्भर हैं?
क्या आपकी नींद का कार्यक्रम सप्ताहांत पर भी काफी नियमित है?
नींद की कमी के प्रभाव
बहुत कम नींद का कारण हो सकता है:
स्मृति समस्याएं
अवसाद की भावना
उत्तेजना की कमी
चिड़चिड़ापन
धीमी प्रतिक्रिया समय
एक कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, आपके बीमार होने की संभावना को बढ़ाती है
दर्द की मजबूत भावना
उच्च रक्तचाप, मधुमेह, दिल का दौरा, या मोटापा जैसी स्थितियों की उच्च संभावना
एक कम सेक्स ड्राइव
झुर्रीदार त्वचा और आंखों के नीचे काले घेरे
ज्यादा खाना और वजन बढ़ना
समस्याओं को सुलझाने और निर्णय लेने में परेशानी
गलत निर्णय लेना
दु: स्वप्न
अध्ययन यह स्पष्ट करते हैं कि नींद की कमी खतरनाक है। जो लोग ड्राइविंग सिम्युलेटर में जाने से पहले या हाथ-आंख समन्वय कार्य करने से पहले कुछ नींद से चूक गए थे, वे उन लोगों की तुलना में खराब या खराब प्रदर्शन करते थे जिन्हें शराब दी गई थी।
नींद की कमी भी बदलती है कि शराब आपके शरीर को कैसे प्रभावित करती है। यदि आप थके हुए होने पर पीते हैं, तो आप किसी ऐसे व्यक्ति की तुलना में अधिक क्षीण होंगे, जिसे पर्याप्त आराम मिला हो।
राष्ट्रीय राजमार्ग यातायात सुरक्षा प्रशासन के अनुसार, चालक की थकान के कारण 2005 और 2009 के बीच लगभग 83,000 कार दुर्घटनाएँ हुईं और 2016 में 803 मौतें हुईं।
Post updated on: Aug 13, 2021 1:21:54 PM
20 मई, 2021 - अमेरिकी बच्चों की संख्या जो पुरुष या महिला के अलावा किसी अन्य लिंग के रूप में पहचान करती है, बढ़ती जा रही है, जर्नल पीडियाट्रिक्स रिपोर्ट में एक नया अध्ययन।
2017 में, एक सीडीसी सर्वेक्षण ने हाई स्कूल के छात्रों से पूछा कि क्या वे खुद को ट्रांसजेंडर मानते हैं और पाया कि 1.8% ने हां कहा। लेकिन यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग मेडिकल सेंटर के एक डॉक्टर ने सोचा कि क्या सीडीसी सर्वेक्षण को जिस तरह से संरचित किया गया था, वह उन सभी बच्चों को नहीं पकड़ता जो "लिंग विविध" थे।
केसी किड, एमडी, ने इसके बजाय एक विविध पिट्सबर्ग पब्लिक हाई स्कूल की ओर रुख किया और 3,000 से अधिक छात्रों से दो प्रश्न पूछे:
1."आपका लिंग क्या है (या, जन्म के समय आपका लिंग, आपके जन्म प्रमाण पत्र पर)?"
2."निम्नलिखित में से कौन आपका सबसे अच्छा वर्णन करता है (लागू होने वाले सभी का चयन करें)?"
उपलब्ध विकल्प थे "लड़की," "लड़का," "ट्रांस गर्ल," "ट्रांस बॉय," जेंडरक्यूअर," "नॉनबाइनरी," और "दूसरी पहचान।"
अध्ययन में कहा गया है कि 9.2% बच्चों ने जवाब दिया कि वे किसी न किसी तरह से लिंग विविध थे।
अध्ययन के परिणाम गायक डेमी लोवाटो के रूप में गैर-बाइनरी के रूप में सामने आए और सर्वनाम "वे" और "उन्हें" का उपयोग करते हैं।
लोवाटो ने ट्विटर पर कहा, "यह बहुत सारे उपचार और आत्म-चिंतनशील कार्य के बाद आया है।" "मैं अभी भी सीख रहा हूं और अपने आप में आ रहा हूं और मैं एक विशेषज्ञ या प्रवक्ता होने का दावा नहीं करता।"
पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय में अंग्रेजी और लिंग, कामुकता और महिलाओं के अध्ययन के एसोसिएट प्रोफेसर, जूल्स गिल-पीटरसन, पीएचडी, किसी भी समाज में लिंग की द्विआधारी परिभाषा पर लोगों को ढूंढना मुश्किल नहीं है, सीएनएन को बताया।
गिल-पीटरसन ने कहा, "इस बात की परवाह किए बिना कि एक निश्चित समय में किसी विशेष समाज में किस तरह की सेक्स और लिंग व्यवस्था मौजूद है, वहां हमेशा ऐसे लोग होते हैं जो उन मानदंडों से भटक जाते हैं।" उनमें से कई संस्कृतियों में, "यह सांस्कृतिक रूप से स्वीकृत है और कुछ लोगों के लिए अलग-अलग जीवन जीने के लिए मनाया जाता है, जिसे हम जन्म के समय दिए गए लिंग को कह सकते हैं।"
Post updated on: Aug 12, 2021 1:20:04 AM
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